विशाल समाचार टीम यूपी
लखनऊ: प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार जुआ केंद्र चलाने, जुआ खेलने, ऑनलाइन जुआ खेलने और सट्टा लगाने जैसी गतिविधियों को रोकने के लिए नया कानून लाने जा रही है. राज्य में ‘द्यूत क्रीड़ा’ को लेकर लागू 154 साल पुराना कानून खत्म करके नया कानून बनाया जाएगा. इसके तहत कड़े दंड का प्रावधान किया जा रहा है. राज्य विधि आयोग के चेयरमैन जस्टिस एएन मित्तल ने इस संबंध में ‘उत्तर प्रदेश सार्वजनिक द्यूत निवारण विधेयक’ का प्रारूप राज्य सरकार को सौंपा है. इसमें उन्होंने सजा और अर्थ दंड बढ़ाने की सिफारिश की है. शासन स्तर पर इसकी समीक्षा की जाएगी. इसके उपरांत प्रदेश में यह कानून लागू किया जाएगा.
केंद्र सरकार समाप्त कर रही पुराना कानून
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में जस्टिस मित्तल ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में तत्कालीन अंग्रेज शासन का बनाया गया सार्वजनिक द्यूत क्रीड़ा अधिनियम 1867 (public gambling act 1867) प्रभावी है. इसमें समय-समय पर अनेक संशोधन भी किए गए हैं. बावजूद इसके अब भी यह अधिनियम ऑनलाइन जुआ गतिविधियों को रोकने में सक्षम नहीं है. 154 वर्ष पुराने इस अधिनियम को केंद्र सरकार ने समाप्त करने का निर्णय लिया है. इसी क्रम में उत्तर प्रदेश सरकार से यह अपेक्षा की गई है कि वह भी अपने राज्य में इस विषय पर अलग से कानून बनाए.
सार्वजनिक स्थानों पर जुआ खेलने पर एक साल की होगी सजा
जस्टिस मित्तल ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि पुराना कानून 1867 का है. केंद्र सरकार 154 साल पुराने इस कानून को खत्म करने जा रही है. कुछ राज्यों ने इस विषय पर अपना कानून बना दिया है. उत्तर प्रदेश ने अभी तक इस विषय पर कोई कानून नहीं बनाया है. पूरे विषय पर हमने अध्ययन करके ऑनलाइन जुआ को रोकने को शामिल किया है. वर्तमान सजा को बढ़ाने का भी प्रस्ताव रखा है. इसमें सट्टा भी लगाने से रोकने की व्यवस्था दी गई है.
तैयार प्रारुप के अनुसार सजा में इजाफा किया गया है. पहले सार्वजनिक जुआ घर चलाने पर एक साल की सजा और 500 रुपये जुर्माना था. इसे बढ़ाकर तीन साल की सजा और जुर्माना किया गया है. इसी तरह से सार्वजनिक स्थल पर जुआ खेलते हुए पकड़े जाने पर पहले तीन महीने की सजा और 100 रुपये जुर्माना था. इसे बढ़ाकर एक साल की सजा और पांच हजार रुपये जुर्माना किया गया है. इसका प्रारूप राज्य सरकार को सौंप दिया गया है. शासन स्तर पर समीक्षा करने के बाद राज्य सरकार इसे लाएगी.