राजनीति में सेवा परमोधर्म का सूत्र याद रखें
पंजाब विधान सभा स्पीकर कुलतार सिंह संधवान के विचार
एमआईटी डब्ल्यूपीयू में मिटसॉग के २०वें बैच का शुभारंभ
पुणे, : “सेवा परमोधर्म के सूत्र को ध्यान में रखते हुए राजनीति में प्रवेश करना चाहिए. सामाजिक समस्याओं का समाधान जनसेवा के माध्यम से ही किया जा सकता है. जब समाज के प्रत्येक व्यक्ति का विकास होगा, तभी भारत विश्वगुरू बनेगा.” ऐसे विचार पंजाब विधान सभा स्पीकर कुलतार सिंह संधवान ने रखे.
एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के एमआईटी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट द्वारा आयोजित ‘ मास्टर्स इन पॉलिटिकल लीडरशिप एंड गवर्नमेंट ’ (एमपीजी)के २०वें बैंच का शुभारंभ पर वे बतौर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे.
इस मौके पर राजस्थान विधान सभा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी और महाराष्ट्र विधान परिषद की उपाध्यक्ष डॉ. नीलम गोर्हे विशिष्ट अतिथि के रुप में उपस्थित थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता माईर्स एमआईटी के संस्थापक अध्यक्ष एवं एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने निभाई.
साथ ही एमआईटी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट के संस्थापक और डब्ल्यूपीयू के कार्यकारी अध्यक्ष राहुल विश्वनाथ कराड, कुलपति डॉ. आर.एम.चिटणीस, एमआईटी मिटसॉग के निदेशक डॉ. के. गिरीसन, प्रो.डॉ. परिमल माया सुधाकर और श्रीधर पब्बीशेट्टी उपस्थित थे.
इस अवसर पर गणमान्य अतिथियों द्वारा राष्ट्रीय विधायक सम्मेलन की पुस्तक का विमोचन किया गया.
कुलतार सिंह संधवान ने कहा, राजनीति का समाज पर सबसे ज्यादा प्रभाव पडता है. इस क्षेत्र में आकार निस्वार्थ भाव से मानव सेवा करनी चाहिए. इतिहास विचारों और तलवारों से लिखा जाता है. इस देश में अलग अलग धर्मों के लोग है, इसलिए कभी उनमें फूट नहीं डालना.
डॉ. नीलम गोर्हे ने कहा, सरकार और प्रशासन को समझना, न्यायिक संस्थाओं, शिक्षा व्यवस्था, सांस्कृतिक परितर्वन को समझिए, लोगों से ज्ञान प्राप्त कीजिए, सुनने की आदत रखे और विधायी उपकरणों को अपनाएं. इसी तरह जब आप राजनीति में उतरते हैं तो आपको व्यक्तिगत, सामाजिक और जीवन कल्याण के बारे में अधिकार और आत्मविश्वास मिलता है. साथ ही राजनीति के कारण निजी और सार्वजनिक जीवन एक जैसा होता है.
डॉ. सी.पी. जोशी ने कहा, औद्योगिक क्रांति के बाद देश में शिक्षा क्रांति सबसे बडी थी. हालांकि यहां उच्च शिक्षा गुणवत्तापूर्ण है, लेकिन प्राथमिक शिक्षा प्रणाली में बडे सुधार की जरूरत है. राजनेताओं का काम विषम समाज को एक साथ लाना है. प्रत्येक युवा में कौशल का उपयोग बहुत महत्वपूर्ण है. स्वतंत्रता पूर्व काल में इस देश का नेतृत्व करने वाले सभी लोग देश के बाहर से आए थे. इसलिए देश में राजनीति क्षेत्र में उचित प्रशिक्षण की आवश्यकता है.
प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा.कराड ने कहा, हमें भारतीय संस्कृति, दर्शन और परंपरा का पालन करना चाहिए और मानव सेवा को महत्व देना चाहिए. वसुधैव कुटुंब कम की अवधारणा को लागू करने के लिए हिंदू राष्ट्र नहीं बल्कि हिंदवी स्वराज्य की स्थापना करना जरूरी है. देश के पहले प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ लेते हुए पं. नेहरू ने कहा था कि मै देश का सेवक हूं. ऐसी भावना से सभी को काम करना चाहिए.
राहुल विश्वनाथ कराड ने कहा, राजनीति में पढे लिखे और अच्छे लोगों को आने की जरूरत है. देश की बढती आबादी के बारे में कोई भी पार्टी नहीं सोच रही हैं. ऐसे समय में अगर राजनीतिक प्रशिक्षण ले तो नौकरशाही और व्यवस्था में सुधार होने में वक्त नहीं लगेगा. इसी तरह देश में किसी भी चुनाव से १ साल पहले कोई योजना घोषित नहीं की जानी चाहिए.
इस समय डॉ. आर.एम.चिटणीस ने अपने विचार रखे.
डॉ. परिमल माया सुधाकर ने मिटसॉग की स्थापना की पृष्ठभूमि बतायी.
इस अवसर पर छात्रा संस्कृति ढोलमा एवं ध्रुव सावजी ने अपने विचार प्रस्तुत किये.
प्रो.डॉ. गौतम बापट ने सूत्रसंचालन किया.