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अजित पवार की वापसी के सवाल पर शरद पवार नहीं छुपा पाए अपना दर्द, दिया ये जवाब

अजित पवार की वापसी के सवाल पर शरद पवार नहीं छुपा पाए अपना दर्द, दिया ये जवाब

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तैयारियां ज़ोर-शोर पर हैं.

 

अभी तारीख़ों की घोषणा नहीं हुई है लेकिन अलग-अलग पार्टियां और गठबंधन अपने दावों और वादों को लेकर जनता के बीच में हैं.

 

इस बीच बीबीसी ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार से ख़ास बातचीत की है.

 

शरद पवार ने कहा है कि अजित पवार का पार्टी छोड़कर जाना उन्हें अच्छा नहीं लगा था. लेकिन अब उन्हें भरोसा है कि अजित पवार वापस नहीं आएंगे.

 

उनका कहना है कि अजित पवार सत्ता के लिए गए, जो उन्हें मिली भी, ऐसे में सत्ता छोड़कर उनके वापस आने पर भरोसा नहीं है.

 

पूरी बातचीत में शरद पवार ने अजित पवार के अलावा मोदी सरकार और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी की तैयारियों के बारे में बताया है.

 

महाविकास अघाड़ी बनाम महायुति

महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी (उद्धव ठाकरे की शिव सेना, कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी) का मुक़ाबला महायुति (बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिव सेना और अजित पवार की एनसीपी) से

पिछले लोकसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी को महायुति के मुक़ाबले बढ़त मिली थी. ऐसे में अब शरद पवार कहते हैं कि हालिया लोकसभा चुनाव के नतीजों ने बता दिया है कि महायुति की राजनीति लोगों को पसंद नहीं है.

 

लोकसभा चुनाव के नतीजों पर शरद पवार कहते हैं, ”ढाई-तीन महीने पहले देश में लोकसभा के चुनाव हुए जहाँ नरेंद्र मोदी ने 400 पार की बात देश के सामने रखी और जगह-जगह पर जाकर वो यही बात कहते थे. उन्होंने एक माहौल बनाने की कोशिश की थी कि देश की हुक़ूमत उनके हाथ में आनी है. 400 से ज़्यादा सीट उन्हें मिलनी है और अन्य राजनीतिक दलों को कुछ जगह नहीं मिलेगी.”

 

रिजल्ट आ गया तो 400 की बात छोड़िए, वो 300 के आसपास भी नहीं आए. 240 सीट उन्हें मिली थीं. चंद्रबाबू की मदद नहीं होती, नीतीश भाई की मदद नहीं होती तो शायद सरकार बनाने और चलाने दोनों में ही मुश्किल होती.”

 

पवार कहते हैं, ”मोदी साहब, बीजेपी और उनके साथ जो भी दूसरे लोग गए, उनकी राजनीति लोगों को पसंद नहीं थी. लोग सुधार करना चाहते थे, ये अच्छी बात है.”

 

महाराष्ट्र की कुल 48 लोकसभा सीटों में से 17 सीटें महायुति और 30 सीटें महाविकास अघाड़ी ने जीती थीं. महाराष्ट्र में बहुत कड़ा मुक़ाबला हुआ था. हाल के सालों में महाराष्ट्र में ऐसी कांटे की टक्कर कम ही देखने को मिली थी.

शरद पवार ये मानते हैं कि जिस तरह के नतीजे बीजेपी को इस लोकसभा चुनाव में देखने को मिले थे, उसके बाद से उन्होंने ”पर्सनल अटैक” बढ़ा दिया है.

 

वो कहते हैं, ”अभी दो दिन पहले आपने प्रधानमंत्री की स्पीच सुनी. वो जम्मू-कश्मीर में गए थे. जिस तरह से उन्होंने कांग्रेस पर, कांग्रेस के नेतृत्व पर पर्सनल अटैक किया, इससे एक बात साबित होती है कि चुनाव में जो रिजल्ट मिला, उसकी नाराज़गी उनके मन में है. इसीलिए यह नाराज़गी दिखाने के लिए उनकी स्पीच काफ़ी है और इसी तरह से वो आने वाले इलेक्शन में जाएंगे, ऐसा हमें लग रहा है.”

 

क्या विधानसभा चुनाव के नतीजे अगर बीजेपी के ख़िलाफ़ जाते हैं तो इसका असर केंद्र सरकार की स्थिरता पर भी दिखेगा?

 

इस सवाल के जवाब में शरद पवार कहते हैं कि ये तो बाद की बात है लेकिन लोगों में बदलाव का मूड है.

 

पवार कहते हैं, ”आज सिर्फ़ महाराष्ट्र में चुनाव नहीं है. हरियाणा, झारखंड और जम्मू-कश्मीर में चुनाव हैं. मुझे लगता है कि वहाँ बीजेपी सरकार नहीं बना पाएगी. वहाँ जाने के बाद लोगों का जो मूड दिखता है वो परिवर्तन का है.”

 

महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा?

महाविकास अघाड़ी में कई बड़े नेताओं के होने की वजह से अक्सर ये बात चर्चा में रहती है कि आख़िर मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा. कई संभावित नामों पर कयास लगाए जाते रहे हैं.

 

किसी चेहरे का नाम लेने से शरद पवार ने इनकार कर दिया, उनका कहना है कि चुनाव होने के बाद और नंबर गठबंधन के पक्ष में आने के बाद एक ही मीटिंग में ये तय कर लिया जाएगा. वो मानते हैं कि अभी इस पर चर्चा करना सही नहीं होगा.

 

क्या सुप्रिया सुले भी महाराष्ट्र की मुख्यमंत्री बन सकती हैं?

 

 

इस सवाल के जवाब में शरद पवार कहते हैं कि सुप्रिया का ध्यान राज्य से ज़्यादा केंद्र की राजनीति में रहता है.

 

वो कहते हैं, ”दो बातें हैं. महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने के लिए नंबर चाहिए और हमारी पार्टी के पास मुख्यमंत्री का पद आने के लिए जो नंबर्स चाहिए वो हमारे पास कहां हैं? दूसरी बात है कि हर व्यक्ति की कुछ रुचि होती है. जहाँ तक सुप्रिया की बात है, मुझे लगता है कि उनकी रुचि राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में है.”

 

आप देखिए कि संसद में उनकी उपस्थिति 90 फ़ीसदी से ज्यादा है. इसलिए जहां जिसकी रुचि होती है, उसे वहां काम करने में ख़ुशी मिलती है, वहाँ से उठाकर दूसरी जगह पर भेजना मुझे ठीक नहीं लगता.”

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