देश में अज्ञानता सबसे बडी समस्या,केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की राय
एमआईटी में प्रा.डॉ. पठाण के सांप्रदायिक सदभाव का प्रतिमान ग्रंथ का प्रकाशन
विशाल समाचार संवाददाता पुणे
पुणे, : देशमें मतभेद नहीं, बल्कि विचारशून्यता सबसे बडी समस्या है. बुद्धिजीवियों और लेखकों को राजा के खिलाफ मजबूत विचार रखने चाहिए. साथ ही राजा को इसे सहन करने के लिए तैयार रहना चाहिए. यह राय केंद्रीय सडक, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने रखी.
कोथरूड में एमआईटी डब्ल्यूपीयू के संत ज्ञानेश्वर हॉल में माईर्स एमआईटी विश्वशांति केंद्र (आलंदी) और नागपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ.एस.एन.पठान के सहयोग से डॉ. पठाण के अमृत महोत्सव गौरव ग्रंथ (सांप्रदायिक सदभाव का प्रतिमान) के विमोचन के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे.
मराठी साहित्य सम्मेलन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. श्रीपाल सबनीस विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता एमआईटी डब्ल्यूपीयू के संस्थापक अध्यक्ष विश्वधर्मी प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने निभाई.
साथ ही नागपुर विश्वविद्यालय के पूर्व चांसलर डॉ. एस.एन.पठाण, एमआईटी एडीटी यूनिवर्सिटी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रो.डॉ. मंगेश तू. कराड और डॉ. सरफराज पठाण मौजूद थे.
इस अवसर पर नागपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. एस.एन.पठाण का गणमान्य अतिथियों द्वारा अभिनंदन एवं सम्मान किया गया.
नितिन गडकरी ने कहा, लोकतंत्र की सबसे बडी कसौटी यह है कि राजा अतिवादी विचारों पर विचार करता है. लोकतंत्र में मतभेद स्वीकार्य नहीं है. इसलिए लोकतंत्र में विश्वास रखने वाले हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह दूसरों के विचारों का सम्मान करे. भले ही वे हमारे खिलाफ हों.
संविधान ने सभी को धर्म की आजादी दी है. लेकिन जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव अनुचित है. अगर देश के पुर्ननिर्माण का सपना साकार करना है तो ये चीजें काम नहीं करेंगी. किसी की पूजा कैसे करनी चाहिए यह व्यक्तिगत मामला है.
डॉ. श्रीपाल सबनीस ने कहा, राजनीतिक नेताओं ने सर्वधर्म समभाव को समाप्त कर दिया. गडकरीं का राजनीतिक जीवन निष्कलंक होने के साथ उनकी भूमिका सतत लोकतंत्रवादी रही है. देश के १४० करोड लोगों को नई राह दिखाने वाले वे अलग नेतृत्ववाले व्यक्ती है. वर्तमान दौर में हिंदू मुस्लिम एकता को बनाए रखने के लिए संचार आवश्यक है.
डॉ. पठाण ने कहा, गांव ने मुझे सांप्रदायिक सद्भाव सिखाया है. जीवन में सफल होने के लिए शिक्षा के आलावा कोई विकल्प नहीं था, लेकिन परिवार की गरीबी के कारण मुझे नहीं पता था कि मुझे शिक्षा मिलेगी या नहीं. लेकिन मैंने अपनी शिक्षा पूरी की. कमाओ और पढाओ योजना के तहत मैं राज्य शिक्षा निदेशक और नागपुर विश्वविद्यालय के कुलपति के पद तक पहुंचा.
इस अवसर पर सर्जेराव निमसे ने अपने विचार प्रस्तुत किये. डॉ. सरफराज पठान ने परिचय दिया.
प्रा.शालिनी टोंपे ने संचालन किया.