एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी द्वारा विज्ञान, धर्म/अध्यात्म और दर्शन की १० वीं विश्व संसद विश्वराजबाग, पुणे में आयोजन
राष्ट्रपिता म. गांधी की १५५ वीं जयंती पर विश्व सम्मेलन ३ से ५ अक्टूबर तक
पुणे: २१ वीं सदी में भारत ज्ञान का दालन और विश्व गुरु बनकर उभरेगा और पूरे विश्व को सुख, संतोष और शांति का मार्ग दिखाएगा. स्वामी विवेकांनद की इस भविष्यवाणी को साकार करने के लिए एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी द्वारा ३ से ५ अक्टूबर तक विश्व के सबसे बडे शांति गुंबद विश्वराजबाग, लोणी कालभोर में विज्ञान धर्म/ अध्यात्म और दर्शन की १०वीं विश्व संसद का आयोजन किया जा रहा है.
सम्मेलन का उद्घाटन समारोह गुरुवार, ३ अक्टूबर को सुबह ९.३० बजे होगा. पद्मविभूषण डॉ. करण सिंह, वरिष्ठ वैज्ञानिक पद्मभूषण डॉ. रघुनाथ माशेलकर और विश्व प्रसिद्ध कंप्यूटर विशेषज्ञ पद्मभूषण डॉ. विजय भटकर की विशेष उपस्थित रहेंगे.
साथ ही समापन ५ अक्टूबर को शाम ४.३० बजे होगा. इस अवसर पर केरल के राज्यपाल डॉ. आरिफ मोहम्मद खान की प्रमुख उपस्थिती रहेगी. ऐसी जानकारी एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष विश्वधर्मी प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड, डब्ल्यूपीयू के कुलपति डॉ. आर.एम.चिटणीस एवं सम्मेलन के मुख्य समन्वयक डॉ. मिलिंद पांडे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी.
इस मौके पर नागपूर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. एस.एन.पठाण, दूरदर्शन के पूर्व निुदेशक डॉ. मुकेश शर्मा एवं डॉ. संजय उपाध्ये मौजूद थे.
इस सम्मेलन में ११ विषयों पर ज्ञान सत्र आयोजित किये गये है. जिसमें
१: संपूर्ण मानवता की भलाई के लिए शांति की संस्कृति को बढावा देने के लिए दुनिया में व्याप्त अराजकता , भ्रम, रक्तपात, आतंकवाद, नरसंहार और भयानक हिंसा को कम करने में राष्ट्र एवं राज्यों के प्रमुखों राजनीतिक नेताओं की भूमिका
२: धर्म की अवधारणा और भूमिका विश्व धर्मों के सबसे सम्मानित और श्रद्धेय प्रमुखों द्वारा दिव्य आशीर्वाद समारोह
३: विश्व शांति के लिए विज्ञान, अध्यात्म और दर्शन में सामंजस्य स्थापित करने की आवश्यकता है.
४: सार्वभौमिक शब्दः ओम, योग, विपश्यना, नमाज, प्रार्थना और ध्यान आदि विश्व में शांति की संस्कृति को साकार करने के लिए संबद्ध दिव्य मार्ग है.
५: विश्वविद्यालयों / कॉलेजों की उच्च शिक्षा प्रणाली में विज्ञान और अध्यात्म के उचित घटकों के साथ मूल्य आधारित सार्वभौमिक शिक्षा प्रणाली को बढावा देने की आवश्यकता है.
६: परम सत्य – सर्वशक्तिमान ईश्वर को समझने और अनुभव करने के लिए चेतना और वास्तविकता के स्कूल स्थापित करने की आवश्यकता है.
७: विश्व के तीर्थ स्थलों को दिव्य ज्ञान केन्द्रों में बदलने की आवश्यकता अथवा विश्व शांति को बढावा देने में विज्ञान और अध्यात्म / धर्म की भूमिका
८: ग्लोबल वार्मिंग को कम करने और मानव अस्तित्व के लिए सतत विकास लक्ष्यों को फिर से परिभाषित करने की आवश्यकता
९: संयुक्त राष्ट्र संघ, यूनेस्को, विश्व स्वास्थ्य संगठन आदि जैसे अंतर्राष्ट्रीय निकायों को समग्र नियंत्रण और प्रत्यक्ष हस्तक्षेप के लिए सशक्त बनाने की तत्काल आवश्यकता है ताकि आवश्यक अराजकता,भ्रम, रक्तपात, नरसंहार, आतंकवाद और राष्ट्रों के बीच युद्ध /संघर्ष और अन्य तुच्छ मुद्दों को रोका जा सके.
१०: जीनोम से ओम
११: शांति की संस्कृति स्थापित करने में मीडिया की भूमिका
पारसी धर्म के संस्थापक प्रेषित जरथुस्त्र और चीनी यात्री ह्यूएन त्सांग की मूर्तियों की स्थापना
विश्व सम्मेलन की पूर्व संध्या पर यानी २ अक्टूबर को पारसी धर्म के संस्थापक प्रेषित जरथुस्त्र और सातवीं शताब्दी में भारत आए और दुनिया को भारत का परिचय कराने वाले चीनी यात्री ह्यूएन त्सांग की प्रतिमाएं स्थापित की जाएगी. विश्व के सबसे बड़े दार्शनिक संत श्री ज्ञानेश्वर श्री तुकाराम महाराज विश्वशांति हॉल में होगा. इस अवसर पर भारत के पारसी समुदाय के गणमान्य व्यक्तियों के साथ साथ दिल्ली से चीनी दूतावास के अधिकारी भी उपस्थित रहेंगे.