प्रशासनिक तुरपाई या सरकारी योजनाओं के सहारे मछुआ समूह पर पकड़ बनाने की तरकीब?
विशाल समाचार संवाददाता लखनऊ
उत्तर प्रदेश में कई योगी आदित्यनाथ सरकार ने महानिदेशक मत्स्य का पद सृजित किया है. जिस पर के. रविन्द्र नायक आईएएस अधिकारी की तैनाती की गई है. बता दें कि मत्स्य महानिदेशक का पद पहली बार उत्तर प्रदेश के अबतक के इतिहास में सृजित हो रहा है. के रविन्द्र नायक अभी प्रमुख सचिव सचिवालय प्रशासन है. जबकि मत्स्य महानिदेशक के तौर पर उनको अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है.
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा एवं मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजनान्तर्गत अन्तर्देशीय मत्स्य पालन, मछुआरों के कल्याण, नई तकनीकी आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने, किसानों की आय में वृद्धि, स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने, निषादराज वोट योजना, मछुआ कल्याण कोष, ग्रामसभा एवं अन्य पट्टे के तालाबों में निवेश तथा मत्स्य बीज बैंक की स्थापना के लिए के लिए वित्तीय सहायता के रूप में महिला एवं अनुसूचित जाति/जनजाति को 60 प्रतिशत तथा अन्य सभी वर्ग को 40 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है. इसके जरिये सरकार मछुआ समुदाय को लाभान्वित करने में जुटी हुई है. हालांकि मुख्यमंत्री जिस जिले से आते है वहां पर निषाद वोटरों की बहुतायत है. इसलिए महानिदेशक मत्स्य का पद भी इस वोट बैंक को भाजपा से जोड़ने के लिए सृजन के तौर पर देखा जा रहा है.
निषाद पार्टी पर भी है भाजपा की नजर
उत्तर प्रदेश में भाजपानीत सरकार में निषाद पार्टी का भी अलायंस है. जबकि निषादों के रहनुमा और महामना के तौर पर निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद को जाना जाता है. लेकिन भाजपा खुद भी इस वोट बैंक पर अपनी पकड़ चाहती है. इसलिए वो निषादों को सरकारी योजनाओं का लाभ देकर समय समय पर उसकी समीक्षा कर वोट बैंक पर काबू करना चाहती है.
निषाद पार्टी के संस्थापक और उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री डॉक्टर संजय निषाद ने लल्लूराम डॉटकॉम से बातचीत में बताया कि योगी सरकार ने अपने छह साल के कार्यकाल में 39000 करोड़ रुपये खर्च कर मछुआ समुदाय का उत्थान किया है. जबकि इससे पूर्व की सरकारों में ये समुदाय उपेक्षित था. इनके पुनर्वास और अन्य अवस्थापना सुविधा के लिए न के बराबर बजट आवंटित किया जाता रहा है.