अहिंसा ही विश्व को शांति का मार्ग दिखाएगा प्रसिद्ध लेखक प्रा.शेफी किदवई के विचार
प्रो. डॉ. सदानंद मोरे द्वारा लिखित उर्दू कविता संग्रह ‘नेक निहाद सो नेक निहायत’ का प्रकाशन
पुणे : जिन्होंने सृष्टि के साथ बहुत हिंसा की है उन्हें नायक माना जाता है. लेकिन इन सब चीजों से दूर रहकर किताबों की दुनिया में खो जाना जरूरी है. केवल अहिंसा ही शांति का रास्ता दिखा सकती है और इसी से शांति की दुनिया बनानी है. ऐसे विचार प्रसिद्ध लेखक प्रो. शेफी किदवई ने व्यक्त किये.
एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी और समर्थ मीडिया सेंटर द्वारा प्रो.डॉ. सदानंद मोरे लिखित उर्दू कविता संग्रह ‘नेक निहाद सो नेक निहायत’ का विमोचन गणमान्य व्यक्तियों द्वारा किया गया. इस मौके पर वे बतौर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे.
इस समय मौलाना डॉ. सैयद कल्बे राशिद रिजवी और लेखक डॉ. सदानंद मोरे मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे. विश्वधर्मी प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कार्यक्रम की अध्यक्षता निभाई. साथ ही एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के कार्यकारी अध्यक्ष राहुल विश्वनाथ कराड, प्रकाशक मनीषा बाठे और प्रो. मिलिंद पात्रे उपस्थित थे.
प्रो. शेफी किदवई ने कहा, हिंसा बडे पैमाने पर बढ रही है. इस दौरान लेखक ने उर्दू शायरी के जरिए समाज को जोडने का काम किया है. इसमें संत ज्ञानेश्वर, तुकाराम, एकनाथ कबीर जैसे संतों के विचारों को प्रस्तुत किया गया है.
डॉ. सदानंद मोरे ने कहा, समाज में धार्मिक सदभाव पैदा करना है. मैने इसे मजबूत बनाने के विचार से उर्दू में कविता लिखी है. कविता के माध्यम से समाज को अंतर धार्मिक सदभाव प्राप्त करने के लिए एक प्रभावी विचार देने की कोशिश की है. यह मानव विकास और एकता के लिए एक कहावत है.
प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा, मन करारे प्रसन्न सभी सफलताओं का कारण है. इस सूत्र को ध्यान में रखते जीवन व्यतीत करना चाहिए. इस उर्दू पुस्तक के माध्यम से कवि ने धर्म का सही अर्थ प्रस्तुत किया है. कवि ने लिखी कविता मानवता को दर्शाते है. उन्होंने हिंदी साहित्य में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है.
मौलाना डॉ. सैयद कल्बे राशिद रिजवी ने कहा, भाषा के माध्यम से पूरी दुनिया को एक साथ बांधा जा सकता है. उर्दू के माध्यम से लोगों तक यह भावना पहुचाई जा सकती है. एक अच्छा इंसान ही दुनिया को अच्छाई देता हैै. कवि और शायर एक नई दृष्टि देता है . साहित्य के माध्यम से ही समाज का निर्माण होता है.
प्रो.राहुल विश्वनाथ कराड ने पुस्तक निर्माण की पृष्ठभूमि बतायी. साथ ही डॉ. कराड की विश्व शांति की लौ को इस विश्वविद्यालय के माध्यम से आगे बढाया जाएगा.
प्रो.धीरज सिंह ने स्वागत तथा मनीषा बाठे ने परिचयात्मक भाषण दिया.
डॉ. शालिनी टोम्पे ने संचालन तथा प्रो. मिलिंद पात्रे ने आभार माना.