संविधान ही सच्चा धर्म है..सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश प्रसन्न बी. वरले के विचार
‘अलार्ड स्कूल ऑफ लॉ’ का उद्घाटन
पुणे: भारत के संविधान ने सभी को अभिव्यक्ति की आजादी दी है. समाज में सभी धर्मों का सम्मान करना हमारा कर्तव्य है. लेकिन जब समाज में इसका आचरण किया जाता है तो संविधान ही सच्चा धर्म है. इसका आचरण करना ही धर्म आचरण है. ऐसे विचार सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश प्रसन्न बी वरले ने व्यक्त किए.
अलार्ड यूनिवर्सिटी द्वारा शुरू किए गए अलार्ड स्कूल ऑफ लॉ का उद्घाटन न्यायाधीश वरले के हाथों किया गया. इस मौके पर वे बतौर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे.
पुणे के प्रधान जिला न्यायाधीश एम.के. महाजन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे. अलार्ड यूनिवर्सिटी के चांसलर डॉ.एल.आर.यादव ने कार्यक्रम की अध्यक्षता निभाई. साथ ही विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पूनम कश्यप एवं डॉ. राम यादव मौजूद थे.
साथ ही मुंबई हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकील एस.बी. बखारिया, महाराष्ट्र एवं गोवा बार काउंसिल के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष और सदस्य एड. राजेंद्र उमाप मौजूद थे.
इस अवसर पर पुणे बार एसोसिएशन के अध्यक्ष संतोष खामकर, पिंपरी चिंचवड बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एड. रामराजे भोसले पाटिल ने जज प्रसन्न वरले का अभिनंदन किया.
प्रसन्न वरले ने कहा, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने कहा था कि शिक्षा प्रगति की शक्ति है. इसलिए ग्रामीण लोगों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का उपयोग किया जाना चाहिए. जिस तरह से पुणे शिक्षा का घर है उसी तरह यह संतों का भी घर है. विश्वविद्यालय ने शुरू किया कानूनी विभाग सर्वश्रेष्ठ बन जाएगा.
डॉ.एल.आर.यादव ने कहा, हम अलग है, हम अलार्ड है के अनुसार हम कानून के छात्रों को किताबों के साथ साथ ७० प्रतिशत व्यावहारिक ज्ञान देने पर ध्यान केंद्रित करेंगे. हम छात्रों को आत्मविश्वास के साथ साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा भी देंगे. इसके लिए कड़ी मेहनत जरूरी है. आने वाले समय में युवाओं को जीवन में सफल बनाने के लिए विश्वविद्यालय गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करेगा.
पूनम कश्यप ने कहा, ज्ञान ही सफलता की कुंजी है. छात्रों को सकारात्मक विचारधारा के आधार पर समाज में बदलाव लाने के लिए कानून का उचित ज्ञान दिया जाएगा. करियर बनाने के लिए लेखन कौशल, कानूनी मुद्दे, नेतृत्व जैसे गुणवत्ता सुधार पर अधिक जोर दिया जाएगा. छात्रों को समाज की चुनौतियों का सामना करना होगा.
वर्तमान दौर में अच्छी गुणवत्ता वाली लॉ फैकल्टी की आवश्यकता है. इसके अलावा अलार्ड यूनिवर्सिटी द्वारा शुरू किया गया यह कोर्स निश्चित रूप से छात्रों के जीवन में सफलता के द्वार खोलेगा. ऐसे विचार एम.के.महाजन ने व्यक्त किये.
डॉ. भूपिंदर कौर ने सूत्रसंचालन और सारिका ने आभार माना.