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विकास कार्यों में आवश्यक अनुमति मिलने पर ही वन भूमि का उपयोग करें – कमिश्नर

विकास कार्यों में आवश्यक अनुमति मिलने पर ही वन भूमि का उपयोग करें – कमिश्नर

वन व्यवस्थापन से ही राजस्व-वन भूमि सीमा विवाद समाप्त होंगे – मुख्य वन संरक्षक

 

रीवा विशाल समाचार संवाददाता कमिश्नर कार्यालय सभागार में आयोजित बैठक में वन व्यवस्थापन पर चर्चा की गई। बैठक में कमिश्नर बीएस जामोद ने कहा कि संभाग के सभी जिलों में अधोसंरचना विकास के कई बड़े निर्माण कार्य किए जा रहे हैं। आवश्यक होने पर निर्माण कार्य में वन भूमि का उपयोग भी आवश्यक अनुमति के बाद किया जा रहा है। निर्माण कार्यों से जुड़े अधिकारी निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुए वन भूमि में निर्माण कार्य के लिए समय पर आवेदन करें। वन विभाग के अधिकारी भी इनका सहयोग करते हुए समय पर अनुमति प्रदान करें जिससे विकास कार्य में किसी तरह की बाधा न आए। हाल ही में सिंगरौली जिले में रेलवे लाइन निर्माण में वन भूमि के उपयोग पर रीवा जिले में 142 हेक्टेयर जमीन वन विभाग को दी गई है। निर्माण कार्यों में वन भूमि का वहीं उपयोग किया जा रहा है जहाँ अति आवश्यक होगा। राजस्व तथा वन विभाग के अधिकारी समन्वय से वन व्यवस्थापन की कार्यवाही करें। इसके लिए एसडीएम स्तर तक लगातार बैठकें आयोजित करनी होगी। वन विभाग सभी एसडीएम को वन व्यवस्थापन से जुड़े अभिलेख उपलब्ध करा दें। इन पर मौके पर जाकर वन और राजस्व अधिकारी संयुक्त रूप से निरीक्षण करके अंतिम रूप से सीमा का निर्धारण करेंगे। वन-राजस्व भूमि सीमा विवाद समाप्त करने का यही अंतिम उपाय है।

 

बैठक में मुख्य वन संरक्षक राजेश राय ने कहा कि रीवा संभाग के सभी 6 जिलों में 538 वन खण्ड हैं। इनमें रीवा और मऊगंज जिले में 42, सतना और मैहर जिले में 88, सीधी जिले में 294 तथा सिंगरौली जिले में 114 वन खण्ड हैं। इनमें तीन लाख 74 हजार 956 हेक्टेयर वन भूमि है। वन व्यवस्थापन 1927 और 1937 में किया गया। मध्यप्रदेश के गठन के बाद 1967 में वन क्षेत्र घोषित करने के लिए धारा 4 में अधिसूचना जारी की गई। लेकिन धारा 5 से 19 तक की कार्यवाही पूरी न होने के कारण वन व्यवस्थापन अंतिम रूप से नहीं हो सका। शासन द्वारा एसडीएम को वन व्यवस्थापन अधिकारी बनाया गया है। उन्हें वन विभाग आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराएगा। वन और राजस्व विभाग के अधिकारी मिलकर वन व्यवस्थापन का प्रयास करें। वन व्यवस्थापन से ही राजस्व और वन भूमि सीमा विवाद का निराकरण होगा। विकास कार्यों के लिए वनाधिकार अधिनियम के तहत एक हेक्टेयर तक वन भूमि में निर्माण कार्यों की अनुमति वन मण्डलाधिकारी जारी करते हैं। इससे अधिक भूमि होने पर परिवेश पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करने पर ऑनलाइन ही अनुमति प्राप्त होती है। वन विभाग के अधिकारी किसी भी तरह की कठिनाई आने पर पूरा सहयोग करेंगे।

 

बैठक में सोन घड़ियाल अभ्यारण्य में प्रस्तावित उद्वहन सिंचाई परियोजना, बगदरा अभ्यारण्य से बिजली की लाइन की परियोजना तथा अन्य परियोजनाओं पर चर्चा की गई। बैठक में अपर कमिश्नर अरूण परमार, संभाग के सभी जिलों के कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, वन मण्डलाधिकारी तथा निर्माण कार्यों से जुड़े अधिकारी उपिस्थत रहे।

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