संसद में एकनाथ शिंदे के बेटे ने ऐसा क्या कहा कि राहुल गांधी को आया गुस्सा, स्पीकर से करने लगे ये मांग
संसद में संविधान पर चर्चा के दौरान एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। श्रीकांत शिंदे ने कहा कि महाराष्ट्र में एमवीए को विरोध पक्ष के नेता जितनी सीटें भी नहीं मिली। शिंदे ने कहा कि सावरकर की पूजा हम करते हैं और हमें अभिमान है।
मुंबई: महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के बेटे और सांसद श्रीकांत शिंदे ने आज संविधान का जिक्र कर कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इमरजेंसी के दौरान संविधान खतरे में था। उन्होंने राहुल गांधी से पूछा है कि क्या उनकी दादी संविधान विरोधी थीं। उन्होंने कहा कि ने राहुल गांधी यहां पर अभय मुद्रा का साइन दिखा रहे थे। अभय मुद्रा नॉन वाइलेंस के बारे में सिखाता है। लेकिन ये भूल गए 1984 में कांग्रेस के राज में नॉन स्टॉप वाइलेंस हुआ। सिखों का कत्लेआम किया गया।
राहुल गांधी से पूछे तीखे सवाल
उन्होंने कहा कि कांग्रेस वाले आज सावरकर जी का अपमान करते है। मैं राहुल गांधी से पूछना चाहता हूं कि अगर ऐसा था तो उनकी दादी इंदिरा गांधी ने सावरकर जी की तारीफ क्यों करती थी। इस पर राहुल गांधी अपनी सीट पर खड़े हो गए। उन्होंने कहां कि मैंने इंदिरा जी से पूछा था कि सावरकर पर उनके क्या विचार है। इंदिरा जी ने कहा था कि सावरकर ने अंग्रेजों से समझौता कर लिया था। उनसे माफी मांगी। इंदिरा जी ने कहा था कि नेहरूजी जेल गए, गांधीजी जेल गए और सावरकर ने माफी मांगी थी। यह उनकी सावरकर पर सोच थी।
कांग्रेस का इसी संविधान ने किया ये हाल
शिंदे ने कहा कि जिस संविधान पर आज हम संविधान की चर्चा कर रहे हैं, इसी संविधान ने कांग्रेस को 400 से 40 पर लाकर खड़ा कर दिया। इसी संविधान की ताकत की वजह से महाराष्ट्र की जनता ने महाविकास आघाडी का ऐसे हाल कर दिया है कि वहां वो विपक्ष का नेता भी नहीं बना सकती। इसी संविधान ने हमें महाराष्ट्र में दोबारा मौका दिया है। राहुल गांधी ने उदारहण दिया कि हम युवकों के अंगूठे काटे जा रहे हैं। उन्होंने में बताना चाहता हूं कि 50 साल के राज में आपने इन युवकों के लिए कुछ नहीं किया।
कांग्रेस असंवैधानिक हथकंड अपनाए
श्रीकांत शिंदे ने संसद में कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिराजी को चुनावी धांधली के लिए अयोग्य ठहराने का फैसला किया था। इस फैसले को रोकने के लिए असंवैधानिक हथकंडे अपनाए गए। जस्टिस सिन्हा को देहरादून से इलाहाबाद चीफ जस्टिस ने फोन किया। गृह मंत्रालय के सचिव फैसले को जुलाई तक टालने का दबाव बना रहे हैं। जज के निजी सचिव को धमकियां दी गईं। सीआईडी के विशेष टास्क फोर्स को लगाया गया। आपातकाल में ना विपक्ष सुरक्षित था, ना जनता और ना जज।