
वास्तविक दुनिया की चुनौतियों का समाधान करनेवाली नई टेक्नोलॉजी में निवेश करें
डॉ. बी. एन. जाजू की राय; विज्ञान, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मॅनेजमेंट कें ट्रेंड पर प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न
पुणे: छात्रों और शोधकर्ताओं द्वारा सहयोगात्मक अनुसंधान कार्य और बहु-विषयक प्रयास विज्ञान, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मॅनेजमेंट (एसटीईएम) क्षेत्रों के भविष्य को आकार दे सकते हैं। नई टेक्नोलॉजीयों में विदेशी और घरेलू निवेश में वृद्धि से वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, तकनीशियनों और मॅनेजमेंट क्षेत्र की वास्तविक समस्याओं से निपटने के लिए अनुसंधान करने में मदद मिलेगी। उद्योग-शैक्षणिक साझेदारी, व्यावहारिक शिक्षण अनुभव और नई टेक्नोलॉजीयों में निवेश, भविष्य में STEM विकास के प्रमुख चालक होंगे, ऐसा मत डॉ. बी. एन. जाजू ने व्यक्त किया।
जी. एच. रायसोनी इंटरनेशनल स्किल टेक यूनिवर्सिटी द्वारा सायन्स, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मॅनेजमेंट ((STEM)) 2025 के ट्रेंड पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे. इस अवसर पर अतिथि डॉ. आर. एन. यादव और डॉ. ए. के. मलिक, युनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. एम. यू. खरात, कैम्पस निदेशक कर्नल अजीत सिंघवी आदि उपस्थित थे। इस दो दिवसीय संमेलन मे 9 विभिन्न राज्यों के 103 शोधकर्ताओं ने अपने शोधनिबंध प्रस्तुत किये।
डॉ. बी. एन. जाजू ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अंतर-विषयक सहयोग में भाग लेने तथा प्रभावी समाधान के लिए नए शोधकर्ताओं को प्रोत्साहित करना आवश्यक है। निरंतर शिक्षा, कौशल विकास और अंतःविषयक अनुसंधान की आवश्यकता है। संस्थानों के लिए नवीन शिक्षण पद्धतियों को अपनाना आवश्यक है जो शिक्षा और उद्योग के बीच की खाई को दूर कर शके।
कुलपति डॉ. एम. यू. खरात ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डेटा विज्ञान और रोबोटिक्स जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों को पारंपरिक स्टीम (STEM) विषयों के साथ एकीकृत करने से उद्योगों में क्रांतिकारी बदलाव आ सकता है और वे महत्वपूर्ण वैश्विक चुनौतियों का समाधान कर सकते हैं। छात्रों और पेशेवरों को अनुसंधान के लिए आवश्यक सुविधा उपलब्ध कराय जाए तो वास्तविक दुनिया की समस्याओं का हाल निकल सकता है।
उद्घाटन सत्र की शुरुआत रजिस्ट्रार डॉ. स्वागत भाषण जितेन्द्र कुमार मिश्रा ने दिया। डॉ. दयानंद सूर्यवंशी और प्रो. रुता करंदीकर कार्यक्रम का संचालन ने किया। छात्र कल्याण विभाग के डीन डॉ. संदीप रासकर ने आभार व्यक्त किया।