
निकमार एचआर समिट 2025: इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में उभरते वर्कफोर्स ट्रेंड्स पर प्रकाश
उद्योग के दिग्गजों ने कार्यस्थल पर एजिलिटी, अडैप्टेबिलिटी, एवं रेज़ीलिएंस पर दिया ज़ोर
छात्रों को व्यावहारिक उद्योग अनुभव और एचआर विशेषज्ञों से सीधे संवाद का मिला अवसर
पुणे: निकमार विश्वविद्यालय, पुणे ने शुक्रवार (4 अप्रैल) को अपने परिसर में एचआर समिट 2025 का आयोजन किया। इस शिखर सम्मेलन में विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों के मानव संसाधन (एचआर) विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया और उभरते रुझानों, वर्कफोर्स के विकास और कार्य के भविष्य पर विचार-विमर्श किया।
सम्मेलन का उद्घाटन लार्सन एंड ट्यूब्रो लिमिटेड के कॉर्पोरेट एचआर प्रमुख और कार्यकारी उपाध्यक्ष डॉ. सी. जयकुमार ने मुख्य अतिथि के रूप में किया। उन्होंने एचआर क्षेत्र में आ रहे बड़े बदलावों की ओर इशारा करते हुए कहा, “भर्ती प्रक्रिया में अब जेनरेटिव एआई का इस्तेमाल रिज़्यूमे छांटने, इंटरव्यू प्रश्न तैयार करने और मूल्यांकन करने में किया जा रहा है। दिलचस्प बात यह है कि उम्मीदवार भी इन टूल्स का उपयोग कर संभावित सवालों के उत्तर तैयार कर रहे हैं। लेकिन एआई का उपयोग केवल भर्ती तक सीमित नहीं है—सीखने और विकास के क्षेत्र में भी जेनएआई से पर्सनलाइज्ड कोचिंग, परफॉर्मेंस फीडबैक और डायनामिक लर्निंग संभव हो रही हैं। एचआर अब एक टेक्नोलॉजी-प्रथम कार्यक्षेत्र बनता जा रहा है।” उन्होंने आगे कहा, “कुछ के लिए फ्लेक्सिबिलिटी का मतलब घर से काम करना है, तो कुछ के लिए सप्ताह में कम दिन ऑफिस जाना या बिल्कुल तय शेड्यूल न होना। निर्माण जैसे पारंपरिक ऑन-साइट क्षेत्रों में भी अब लीडर्स को फ्लेक्सिबिलिटी के नए मायनों पर विचार करना होगा।”
एचआर लीडर और इंफ्लुएंसर साहिल नायर ने अपने मुख्य भाषण में निकमार को एक विशेष रूप में परिभाषित किया: नैविगेटिंग चेंज (परिवर्तन से निपटने की क्षमता), इंटेलेक्चुअल क्यूरिओसिटी (बौद्धिक जिज्ञासा), करेज (साहस), मास्टरिंग एजिलिटी एन्ड अडैप्टेबिलिटी (लचीलेपन और अनुकूलनशीलता में दक्षता), ऑथेंटिसिटी (प्रामाणिकता), तथा रेज़ीलिएंस (प्रतिरोधी क्षमता)।
निकमार विश्वविद्यालय, पुणे के अध्यक्ष एवं कुलाधिपति डॉ. अनिल कश्यप ने कहा कि निर्माण क्षेत्र भारत की जीडीपी में 9-10% का योगदान देता है और यह देश में दूसरा सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय एआई, कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी, डिजिटलीकरण और 3डी प्रिंटिंग जैसे उभरते क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
कुलपति डॉ. सुषमा एस. कुलकर्णी ने युवा पीढ़ी को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि निकमार विश्वविद्यालय ऊर्जा, पर्यावरण, सिविल इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चर और जनरल मैनेजमेंट जैसे क्षेत्रों में नए अकादमिक कार्यक्रम शुरू करने की योजना पर काम कर रहा है।
सम्मेलन में चार प्रमुख विषयों पर पैनल चर्चाएं हुईं:
• वर्कफोर्स में पीढ़ियों के अनुसार बदलाव
• कौशल विकास में शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका
• एआई का रोजगार पर प्रभाव
• करियर सफलता के लिए आवश्यक प्रमुख कौशल
यह आयोजन छात्रों के लिए उद्योग की गहराई से समझने और अग्रणी एचआर व उद्योग विशेषज्ञों से संवाद करने का एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ। समापन अवसर पर डॉ. जनार्दन कोनार (डीन, करियर सर्विसेज, इंटरनेशनल अफ़ेयर्स एवं एलुम्नाई रिलेशंस) ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।