किशोर न्याय अधिनियम विषय पर कार्यशाला संपन्न
रीवा (MP):जिला न्यायालय परिसर स्थित जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एडीआर भवन में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री आर.सी. वार्ष्णेय के मार्गदर्शन एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री विपिन कुमार लवानिया के नेतृत्व में किशोर न्याय अधिनियम विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन विशेष न्यायाधीश श्री उमेश पांडव के मुख्य आतिथ्य में किया गया।
कार्यशाला में श्री उमेश पाडंव ने कहा कि किशोर न्याय अधिनियम विधि का उल्लंघन करने वाले बालकों और देखरेख तथा संरक्षण की आवश्यकता वाले बालको के संबंध में बालकों के प्रति कल्याणकारी दृष्टिकोण को अपनाते हुए कार्य करता है। उन्होंने कहा कि इस अधिनियम में किशोर न्याय बोर्ड बाल कल्याण समिति , बाल कल्याण अधिकारी, परिवीक्षा अधिकारी आदि की महत्वपूर्ण भूमिका है। कार्यशाला में उपस्थित सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री विपिन कुमार लवानिया ने अपने उदबोधन में कहा कि 18 वर्ष से कम आयु के बालक यदि विधि के विरोध में कोई कार्य करते है तो उनकी जॉच, विवेचना इत्यादि के लिए किशोर न्याय अधिनियम में विशेष प्रक्रियाओं का पालन करना आवश्यक होता है।
अपर जिला सत्र न्यायाधीश श्री मुकेश यादव ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि किशोर न्याय अधिनियम में यदि कोई बालक विधि के विरोध में कोई कार्य करता है तो उसका नाम किसी जांच ,अन्वेषण या न्यायिक प्रक्रिया के बारे में किसी समाचार पत्र पत्रिका इत्यादि में प्रकट नहीं किया जाता है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्री आशीष ताम्रकार ने संबंधित विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। प्रधान मजिस्ट्रेट किशोर न्याय बोर्ड सुश्री ऊषा उइके ने किशोर न्याय अधिनियम पर विस्तार से जानकारी प्रदान की। जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री अभय कुमार मिश्रा ने बालको हेतु नि:शुल्क विधिक सहायता योजना के बारें में जानकारी दी।
बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष श्रीमति ममता नरेन्द्र सिंह, सदस्य श्री केपी शर्मा, सीमा श्रीवास्तव ,रंजना शर्मा, किशोर न्याय बोर्ड की सदस्य श्रीमति ममता मिश्रा, श्रीमति मीनाक्षी मिश्रा, ने भी अपने विचार प्रकट किए। श्रीमति ममता नरेन्द्र सिंह ने बाल कल्याण समिति के बारे में विस्तार से जानकारी दी। श्री केपी शर्मा ने बताया कि देखरेख की आवश्यकता वाले बालको के संबंध में बाल कल्याण समिति को सूचित किया जाना अति आवश्यक है,