ग्लोबल वार्मिंग को 1.5°C तक सीमित रखने के लिए छह कदम
पेरिस समझौते को पूरा करने और ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए एनर्जी ट्रांजिशंस कमीशन (ईटीसी) ने उन कार्रवाइयों अथवा कदमों को निर्धारित किया है, जिसे 2020 में देशों और कंपनियों को पूरा करना है।
पेरिस जलवायु समझौते के हिस्से के रूप में किया गया मौजूदा राष्ट्रीय डीकार्बोनाइजेशन संकल्प (जिसे राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान या एनडीसी के रूप में जाना जाता है), ग्लोबल वार्मिंग को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने से रोकने की दिशा में जरूरी प्रयासों से बहुत कम है। उस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त 17-20 गीगा टन कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) कटौती और मीथेन उत्सर्जन में 40% की कमी की आवश्यकता होगी। हालांकि, ईटीसी की रिपोर्ट कीपिंग 1.5 डिग्री सेल्सियस अलाइव: क्लोजिंग द गैप इन द 2020, तकनीकी रूप से उन व्यावहारिक कार्रवाइयों के बारे में विस्तार से बताती है, जो उस अंतर को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने में मदद कर सकती है और जिसे ग्लासगो में नवंबर में होने वाले आगामी COP26 जलवायु शिखर सम्मेलन में समझौतों की मदद से आगे बढ़ाया जा सकता है।
इनमें से कई कार्रवाइयां न्यूनतम लागत पर आधारित है और इससे अन्वेषण व हरित आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा, और उन सभी को व्यापक अंतरराष्ट्रीय समझौते की आवश्यकता के बिना, अग्रणी देशों और कंपनियों की प्रतिबद्धताओं के माध्यम से COP26 में प्रोत्साहन दिया जा सकता है। लेकिन वनों की कटाई को समाप्त करना और मौजूदा कोयला संचालित संयंत्रों से होने वाले उत्सर्जन को कम करने वाले दो उच्च प्राथमिकता वाले कार्यों को समृद्ध विकसित देशों की तरफ से जलवायु वित्त की आवश्यकता होगी।
इन अनुशंसाओं में छह क्षेत्रों को शामिल किया गया है, जिसमें मीथेन उत्सर्जन में कटौती, वनों की कटाई और अन्य प्रकृति-आधारित समाधानों को समाप्त करना, कोयला को छोड़कर दूसरे विकल्पों की तरफ बढ़ना, सड़क परिवहन विद्युतीकरण में तेजी लाना, प्रमुख औद्योगिक और अन्य “कठिन से कम” क्षेत्रों को डीकार्बनाइज करना और ऊर्जा दक्षता में सुधार प्राप्त करना शामिल है।
COP26 के मनोनीत प्रेसिडेंट आलोक शर्मा ने कहा, ‘’ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री तक सीमित करने के लक्ष्य को बनाए रखने के लिए दुनिया को अगले दशक में उत्सर्जन को आधा करने और सदी के मध्य तक शून्य करने की दिशा में काम करना चाहिए।” उन्होंने कहा, ‘’यह रिपोर्ट हमें 1.5 डिग्री के लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्राप्त करने योग्य उत्सर्जन की एक स्पष्ट और विश्वसनीय कार्य योजना निर्धारित करती है। COP26 से पहले हम सभी देशों से उत्सर्जन को कम करने और कोयले, कारों, पेड़ों और मीथेन के मामले में कार्रवाई करने के लिए उन्नत योजना प्रस्तुत करने का आग्रह करते हैं।”
एनर्जी ट्रांजिशंस कमीशन के चेयर अडायर टर्नर ने कहा, “ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए वर्तमान राष्ट्रीय प्रतिबद्धता एक उपयोगी कदम है, लेकिन ग्लोबल वार्मिंग को स्वीकार्य स्तर तक सीमित करने के लिए पर्याप्त नहीं है।” उन्होंने कहा, “लेकिन हमारे पास शून्य या कम लागत पर बहुत तेजी से कटौती करने की तकनीक है, और यह रिपोर्ट दिखाती है कि इसे कैसे किया जा सकता है। जो कुछ भी करने की जरूरत है, उसके लिए व्यापक अंतरराष्ट्रीय समझौतों की आवश्यकता नहीं है, लेकिन प्रमुख देशों और कंपनियों की साझेदारी के जरिए इसे आगे बढ़ाया जा सकता है। इस अवसर का लाभ उठाने के लिए COP26 की भूमिका उत्प्रेरक की होनी चाहिए।
COP26 में यूके हाई लेवल क्लाइमेट एक्शन चैंपियन निगेल टॉपिंग ने कहा: “ईटीसी देशों और कंपनियों के लिए 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालता है। जीरो डिग्री के मामले में नेतृत्व और वैश्विक समर्थन काफी महत्वपूर्ण है और ईटीसी की सिफारिशें दर्शाती हैं कि अगले दशक में सामूहिक कार्रवाई को प्राप्त करना तकनीकी और आर्थिक रूप से संभव है। यदि हम ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना चाहते हैं, इसके लिए प्रयासों में तेजी आ रही है और अब यह महत्वपूर्ण है कि हम 2020 में तेजी से क्रियान्वयन पर ध्यान केंद्रित करें।”