भारत बिजली की लागत को आधा कर सकता है और 2050 से पहले नेट जीरो तक पहुंच सकता है – वार्टसिला की नई रिपोर्ट
पुणे : भारत अपनी बिजली की पूरी लागत को आधा कर सकता है और उसे 2050 से पहले नेट जीरो तक पहुंचा सकता है। ग्लोबल टेक्नोलॉजी कंपनी वार्टसिला और फिनिश लप्पेनरांता-लाहती यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी द्वारा की गई मॉडलिंग के अनुसार 100 फीसदी रिन्यूएबल एनर्जी पावर सिस्टम को विकसित कर ऐसा किया जा सकता है।
यह मॉडलिंग नेट जीरो बिजली प्रणाली हासिल करने के लिए स्पष्ट और अमल में लाने योग्य ऐसा रास्ता दिखाती है, जिससे दुनिया की सबसे बड़ी और तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था भारत में अपार पर्यावरण और आर्थिक फायदे लाए जा सकते हैं।
·आज नवीकरणीय ऊर्जा का प्रयोग 25 फीसदी हो रहा है। इसे बढ़ाकर 2050 से पहले 100 फीसदी करने से भारत में बिजली की उत्पादन लागत में 48 फीसदी की कटौती होगी। यह 2020 में 88 अमेरिकी डॉलर प्रति मेगावॉट प्रति घंटे थी, जो 2050 में 46 अमेरिकी डॉलर प्रति मेगावॉट घंटे हो जाएगी। ।
लोचशील 100 फीसदी रिन्युएबल सिस्टम बडे पैमाने पर अतिरिक्त मात्रा में बिजली मुहैया कराएगा, जो भारत की बिजली पर बढ़ती निर्भरता को पूरा करने में सक्षम है। 2030 तक भारत में बिजली की मांग के दोगुना होने की भविष्यवाणी की गई है।
रिन्युएबल एनर्जी बढ़ाने से हाइड्रोजन उत्पादन से राजस्व बढ़ाने के नए प्रमुख मार्ग खोले जा सकते हैं। इससे 39.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का टेक्नोलॉजी मार्केट तैयार होगा।
इस मॉडल से यह स्पष्ट रूप से पता चलता है कि भारत में 100 फीसदी रिन्युएबल एनर्जी सिस्टम के विकास को बढ़ावा देने के लिए तुरंत कार्रवाई की जरूरत है। आगामी दशक में वैरिएबल रिन्युएबल पावर का ऊर्जा भंडारण और कार्बन न्यूट्रल सस्टेनेबल ईंधनों का इस्तेमाल करने में सक्षम थर्मल बैलेंसिंग पावर प्लांट्स की क्षमता के साथ संयोजन कर भारत अपने कार्बन उत्सर्जन में नाटकीय रूप से कटौती कर सकता है और बिजली उत्पादन की कुल लागत को आधा कर सकता है।
भारत में वार्टसिला एनर्जी के मार्केट डिवेलपमेंट मैनेजर और इस रिपोर्ट के सहलेखक संदीप सरीन ने कहा, “इस साल भारत विश्व की सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था बन जाएगा। हमारी मॉडलिंग स्वच्छ ऊर्जा प्रणाली का रास्ता दिखाती है, जोकि भारत को ग्लोबल क्लीन एनर्जी पावर हाउस को कैटालाइज करेगा, लाखों लोगों को गरीबी से निजात दिलाएगा, नए रोजगार का सृजन करेगा, इससे सिस्टम को ऊर्जा के झटकों से सुरक्षित रखा जाता है। साथ ही यह वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्यिसयस से नीचे बढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।”
उन्होंने कहा, “नेट जीरो के लिए एनर्जी सिस्टम को फिर से व्यवस्थित करने का काम भारत के लिए किसी पहाड़ पर चढ़ने के बराबर है। लेकिन यह बड़े पैमाने पर पहले से ही उपलब्ध तकनीक से निश्चित रूप से संभव है। सही योजना और विजन के साथ भारत स्थिर भविष्य के निर्माण के मामले में विकसित देशों से आगे छलांग लगा सकता है। इसके लिए हमें अभी से काम करना चाहिए, नहीं तो बहुत देर हो जाएगी।
“ वार्टसिला की फ्रंट लोडिंग जेट जीरो रिपोर्ट में उन कदमों क बारे में स्ष्ट रूप से बताया गया है, जिसे अपनाकर भारत पावर सिस्टम को कार्बन से रहित बना सकता है।