*”लक्ष्य”*
*यदि सर्वोपरि है…,
*तो फिर…
*आलोचना, विवेचना*
*और* *प्रशंसा*
*कोई मायने नहीं रखती है।।
*अंधेरों की साजिश*
*रोज रोज होती है,*
*फिर भी उजालों की*
*जीत हर सुबह होती हैं..!!
*बुजुर्गों की दुआओं के चिराग जहां जला करते है,
*उन घरो में दवा के पहले आशीर्वाद असर करता है..!!!
*अनमोल रिश्तों की तुलनi कभी धन से नहीं करनी चाहिए और न ही केवल धन के आधार पर किसी से रिश्ता बनाने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि रिश्ते उस स्थिति में भी काम आते हैं जब धन काम नहीं आता!*
अपनी
सुधा भदौरिया
लेखिका विशाल समाचार
ग्वालियर मध्यप्रदेश