*तक़दीर का मातम मनाने वाले जीवन में कब कहाॅं संवरते हैं..!*
*ये वो लोग होते हैं जो की साहिल पर बैठकर लहरें गिनते हैं..!*
*पसीने की स्याही से ही लिखे जाते हैं कामयाबी के अफसाने..!*
*जो अंगारों पर चलते है वही तो सदा कुंदन बन के निखरते हैं..!*
*लोगों की ज़ुबां पर आना है तो बेहतर नहीं कुछ बेहतरीन कर..!*
*समन्दर बनने से पहले दरिया सदा ही चट्टानों से उलझते हैं..!*
*लड़खड़ाई डगमगाई पर जो रुकी नहीं झुकी नहीं थकी नहीं..!*
*उन्हीं ज़िंदगियों की कहानियां तो लोग सदा किताबों में पढ़ते हैं..!*
अपनी
सुधा भदौरिया
लेखिका विशाल समाचार
ग्वालियर मध्यप्रदेश