*आज राष्ट्रीय बालिका दिवस है.. मैंने बेटियों पर बहुत लिखा है.. कुछ चंद लाइने बेटियों की शान में..!*
*हर उदासी हर दर्द का मैंने देखा ये इलाज़ होती है..!*
*बेटियाॅं तो सदा एक खुशनुमा सा एहसास होती है..!*
*कड़कती सर्दी में सुहानी धूप सी लगती है ये सदा..!*
*जब अंधेरे घेर लेते तो यह अक्सर उजास होती है..!*
*यह पिता का गुमान तो हर माॅं का अभिमान रही हैं..!*
*बेटा गर गुरूर है तो बेटियाॅं सर का ताज होती है..!*
*बेटे और बेटियों में तुलना करना तो बेमानी होगा..!*
*पर ये सच है बिन बेटी जिंदगी कहाॅं नायाब होती है..!*
टीम
सुधा भदौरिया
लेखिका विशाल समाचार
ग्वालियर मध्यप्रदेश