*आज की शाम कुछ बेहतरीन मशवरे के नाम..!*
*ज़्यादा परवाज़ अच्छी नहीं पांव के नीचे ज़मीन रख..!*
*हैसियत से ऊंची उड़ान वाले औंधे मुंह गिरते यकीन रख..!*
*दौलत शोहरत मेहमान होते चंद दिनों के ये जान ले..!*
*अगर सुकून से जीना तो अपने ज़मीर को बेहतरीन रख..!*
*सुना है आजकल तो आस्तीन में सांप बहुत मिलते हैं..!*
*इसलिए आज के दौर में अपने कमीज़ में ना आस्तीन रख..!*
*कुछ बुरी यादें तनहाई में अक्सर तेरी आंखें भिगो देगी..!*
*जब भी तन्हाई तेरे साथ हो तो कुछ यादें तू हसीन रख..!*
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*आजकल तो दिल की ज़मीं को बंजर रखते हैं लोग..!*
*दिल की जगह जिस्म में फ़क़त पत्थर रखते हैं लोग..!*
*कभी गैरों के दर्द में तड़प उठता अब अपनों के भी नहीं..!*
*संवेदनाओं की हालत अब बड़ी कमतर रखते हैं लोग..!*
*पुरी रचना शाम की बेला में..👍*
Regards
Sudha Bhadauriya
Vishal Samachar
Gwalior MP