*आज के दौर के 99% लोगों की फितरत
*उजला लिबास कालिख दिल में कमाल करते हो हज़ूर..!*
*ज़ुबां पर शहद इरादों में ज़हर सियासतदार लगते हो हज़ूर..!*
*अपने ख्यालों को यूॅं निर्वस्त्र घुमाना तो अच्छी बात नहीं..!*
*लगता संस्कारों को आप ताक में रखकर निकलते हो हज़ूर..!*
*अपनी बदनीयती को शराफ़त के नक़ाब से ढकने वालो..!*
*देर सवेर नक़ाब उठेगा फिर क्यों गुनाह करते हो हज़ूर..!*
*बेशकीमती ज़ुबां को खंजर वाली फितरत से जुदा रखना..!*
*लाइलाज़ जख्म देते बोल ये बात क्यों ना समझते हो हज़ूर..!*
*ये अंधेरा भी आजकल चांदनी ओढ़कर निकलने लगा है..!*
*तो फिर रोशन चेहरे पर आप यूॅं क्यों फिसलते हो हज़ूर..!*
*मौलिक*
*अप्रकाशित*