विचार

आलस मनुष्य के अन्दर का सबसे बड़ा दुश्मन

*आलस मनुष्य के अंदर का सबसे बड़ा दुश्मन.. जब तक किसी के अंदर इस का वास होता है.. तब तक इंसान दुखी असफल और उदास रहता है..*

*कतरने आलस्य की जो वक्त की दीवारों पर सजाकर रखते हैं..!*
*वह लोग अपनी जिंदगानी को सदा ही तबाह कर रखते हैं..!*

*आज तक किसे मिले हैं तख्तो ताज बैठे-बिठाए इस जहान में..!*
*उजाले उन्हें मिले जो अपने हिस्से का चिराग़ जला कर रखते हैं..!*

*वक्त ने सबको छला मशहूर वो हुए जो वक्त के सांचे में ढला है..!*
*फर्श से अर्श पे वो गए जो वक्त के साथ कदम मिलाकर रखते हैं..!*

*जब जागो तभी सवेरा जो सोते हैं उनके लिए हर पल है अंधेरा..!*
*कभी सौ में दो आलसी अब सौ में दो खुद को असरदार रखते हैं..!*

अपली विश्वासू
लेखिका विशाल समाचार
सुधा भदौरिया
ग्वालियर मध्यप्रदेश

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