राजयोग से मिलेगी नशा से मुक्ति ब्रह्माकुमार डॉ. सचिन परब के विचार
एमआईटी डब्ल्यूपीयू और प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा आयोजन
पुणे, : नशे को कभी भी जड से खत्म नहीं किया जा सकता है. इसके लिए अंदर से बदलाव जरूरी है. जीने के लिए नशा जरूरी है लेकिन यह आध्यात्मिक होना चाहिए. इसके लिए युवाओं को राजयोग का अभ्यास करना चाहिए. ऐसे विचार ब्रह्माकुमार डॉ. सचिन परब ने रखे.
एमआईटी डब्ल्यूपीयू और प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा एमआईटी डब्ल्यूपीयू में नशा और मुक्ति की विधायी प्रक्रिया विषय पर आयोजित सेमिनार में वे बतौर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे.
इस अवसर पर पूर्व आएएस अधिकारी डॉ. महेश झगडे, पुणे पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार, ब्रह्माकुमारी नलिनी दीदी, बी.के. दशरत भागवत भाई एवं डॉ. संजय उपाध्ये मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे. साथ ही एमआईटी डब्ल्यूपीयू के कुलपति डॉ. आर.एम.चिटणीस, डॉ. नीरज महेंद्रू और डॉ. मृदुला कुलकर्णी उपस्थित थी.
एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष विश्वधर्मी प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड के आशीर्वाद और डब्ल्यूपीयू के कार्यकारी अध्यक्ष राहुल विश्वनाथ कराड के मार्गदर्शन में कार्यक्रम संपन्न हुआ.
डॉ. सचिन परब ने कहा, कुछ अलग करने की चाहत और मानसिक तनाव के कारण नशे की लत की दर बढ रही है. युवाओं के लिए नशा एक फैशन है जो दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है. नशीली दवाओं का दुरुपयोग, मोबाईल की लत, सिनेमा के माध्यम से अभिनेता युवाओं की मानसिकता को प्रभावित कर रहे हैं. साथ ही आधुनिक सिंथेटिक दवाएं जो सबसे खतरनाक है.
डॉ. परब ने आत्मा और ईश्वर का परिचय कराया. हमें अपने परिवार में प्रेम, आनंद, शांति और खुशी के साथ जीवन जीने के तरीके बताएं. उन्होंने राजयोग के माध्यम से मन में सुखद विचार लाने की कला सिखाई. जब हमार मन सुखद विचारों से भर जाता है, तो हमारा आंतरिक अस्तित्व आनंद और शांति से भर जाता है. राजयोग के अभ्यास से भी नशा छोडा जा सकता है. उन्होंने नशे से होने वाले खतरनाक दुष्प्रभावों और नशे से दूर रहने के बारे में बताया.
डॉ. सचिन परब ने कहा, नशा से उबरने के लिए आत्मविश्वास, परिवार के सदस्यों का सहयोग और जीवनशैली में बदलाव जरूरी है. खुशी के लिए मस्तिष्क में डोपामाइन रसायन का बढ़ना जरूरी है, इसके लिए नशे की बजाय प्रजापिता ब्रह्माकुमारी के माध्यम से राजयोग सिखाए जाने की बात कहते हुए सबको उसका लाभ उठाने की अपील की.
अमितेश कुमार ने कहा, युवाओं की बढती फ्रेशर्स पार्टियां, ड्रिंक पार्टियां और २४ घंटे मोबाइल की लत के बजाय शिक्षा के साथ साथ एक अच्छा इंसान बनने पर अधिक ध्यान देना चाहिए. सोशल मीडिया से बचे. छात्र जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ सभी नशे की लत पर अंकुश लगाना चाहिए. अन्यथा पुलिस कानून द्वारा कार्रवाई की जाएगी.
डॉ. महेश झगडे ने कहा, तंबाकू से हर साल २६ लाख नागरिकों की मौत होती है. कुछ दर्द निवारक दवाओं और कफ सिरप की लत बढ रही है. सरकार पिछले दरवाजे से देश में गुटखा के प्रवेश को रोकने में विफल रही है, लेकिन सरकार टैक्स के नशे की लत में हैं.
डॉ. आर.एम.चिटणीस ने कहा, मौजूदा समय में लगातार खाना सबसे बडी लत है. इससे शारीरिक और मानसिक बीमारियां बढ़ती है. साथ ही ज्यादा बात करना भी एक लत है. ऐसे समय में हमें अपने जीवन को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाने होंगे.
डॉ. संजय उपाध्ये ने इस बात पर जोर दिया कि विदेशी संस्कृति भारतीय संस्कृति को कैसे प्रभावित कर रही है. ब्रह्माकुमार दशरथ भागवत भाई ने कहा कि शारीरिक और मानसिक रूप से लोग नशे की आदी हो रहे है. शरीर और आत्मा मिलकर मनुष्य बनता है. इसलिए उसे संस्कार देना जरूरी है. जीवन में आत्मज्ञान आवश्यक है.
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के एमससी मनोविज्ञान, लिबरल आर्टस, स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के छात्र और आत्म्न विद्यार्थी के सदस्य उपस्थित थे
डॉ. मृदुला कुलकर्णी ने स्वागत पर भाषण दिया.
कार्यक्रम का संयोजन विद्यार्थियों ने किया और डॉ शमीम ने आभार माना