वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्डस में दर्ज हुआ ‘दार्शनिक संत श्री ज्ञानेश्वर-तुकाराम महाराज विश्वशांति गुम्बद’
डब्ल्यूबीआर लंडन के उपाध्यक्ष डॉ. श्रीवास्तव ने डॉ. कराड को सौपा सर्टिफिकेट
पुणे: दार्शनिक संत श्री ज्ञानेश्वर तुकाराम महाराज विश्वशांति गुम्बद यह दुनिया के सबसे बडे गुम्बद के रुप में लंडन स्थित वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्डस में दर्ज हुआ है. इस संदर्भ का एक सर्टिफिकेट लंदन स्थित वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्डस के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव श्रीवास्तव ने गुम्बद के निर्माता और एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड को सौपा है.
एमआईटी डब्ल्यूूपीयू के संत श्री ज्ञानेश्वर सभामंडप में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि, यह गुम्बद १६० फीट व्यास और २६३ फीट उंचा है. इसमें २४ स्तंभ है. हमने महसूस किया है कि यह गुम्बद दुनिया का सबसे बडा विश्व शांति गुम्बद है. इसमें मौजूद विश्व शांति प्रार्थना हॉल में लगभग ३ हजार लोग एक साथ बैठ सकते है. साथ ही विश्वशांति लाइब्ररी ६२ हजार ५०० वर्ग फुट है. गुम्बद अद्वितीय होने से उक्त सारी बातों को ध्यान में रखते हुए इनका नाम वर्ल्ड बुक रिकार्डस में दर्ज किया गया.
जब किसी का नाम वर्ल्ड बुक में दर्ज करना होता है तो सबसे पहले उस संदर्भ के कुछ घटनाओं की जांच होती है, फिर उसको प्रमाणित किया जाता है. जिसके लिए ४ माह का समय लगता है. यह गुम्बद संपूर्ण मानव जाति को शांति और कल्याण का संदेश देने की बात भी डॉ. श्रीवास्तव ने कही.
डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा, इस अनोखे गुम्बद से विश्वस्तरीय सिध्दांत बाहर आएंगे. यह प्रशंसनीय है कि गुम्बद विश्व शांति के लिए कार्य कर रहा है. एक ओर रुस और यूके्रन के बीच जो युध्द चल रहा है, ऐसे समय यह सम्मान होना हमारे लिए गर्व की बात है. भारत ही अब दुनिया को सुख, संतोष और शांति का रास्ता दिखाएगा.
डॉ. एस.एन.पठाण ने कहा, डॉ. विश्वनाथ कराड ने १२ साल से अथक प्रयासों से वर्ल्ड पीस डोम का निर्माण किया है. भले ही यह दुनिया का सबसे बडा डोम है लेकिन इसका शांति का संदेश सारी दुनिया में गुंज रहा है. जो मानवजाति के कल्याण के लिए है.
इस मौके पर डॉ. विजय दास, संस्कृत के विद्वान पं. वसंतराव गाडगील, डब्ल्यूपीयू के कुलपति डॉ. आर.एम.चिटणीस, प्र कुलपति डॉ मिलिंद पांडे, वर्ल्ड पीस सेंटर के सलाहकार और पूर्व कुलपति डॉ. एस.एन.पठाण, डब्ल्यूपीयू के सलाहकार डॉ. संजय उपाध्ये और डॉ. मिलिंद पात्रे उपस्थित थे.