*जिन्हें कुछ करना नहीं होता वो ही लबों पर बहानें रखते हैं..!*
*कुछ कर गुजरने का जज़्बा हो वो क़दमों में ज़माने रखते हैं..!*
*जो अकेला चलता है उसके साथ कारवां जुड़ता ही जाता है..!*
*अकेले चल सके पैरों में लोग अब कहां वो उड़ाने रखते है..!*
*फ़लसफ़ा ज़िंदगी का वो क्या जाने जो ख़ुद के लिए जी गया..!*
*गैरों के लिए जो जी ता उन्हीं के याद लोग अफसाने रखते हैं..!*
*घरौंदे रेत के बनाकर जो लोग लहरों को ख़बर कर देते हैं..!*
*ऐसे किरदार अपनी इज़्ज़त जमाने में तो दो आने रखते हैं..!*
*पहले परखते हैं फिर जमाने की हक़ीक़त बयां करते हैं..!*
*किरदार को भांपते है नापते हम नज़र में पैमाने रखते हैं..!*
अपनी आपकी
सुधा भदौरिया
लेखिका विशाल समाचार