रिपोर्ट

आईटीसी ने सस्टेनेबिलिटी की दिशा में एक और मील का पत्थर पार किया, 2021-22 में प्लास्टिक न्यूट्रलिटी के लक्ष्य से आगे निकली

आईटीसी ने सस्टेनेबिलिटी की दिशा में एक और मील का पत्थर पार किया, 2021-22 में प्लास्टिक न्यूट्रलिटी के लक्ष्य से आगे निकली

पुणे: पिछले साल जताई गई प्रतिबद्धता के अनुरूप विविध क्षेत्रों में कारोबार करने वाली भारत की दिग्गज कंपनी आईटीसी ने अनूठे और मल्टीडायमेंशनल पहल के रूप में काम करने वाले इंटीग्रेटेड सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोग्राम के माध्यम से 2021-22 में प्लास्टिक न्यूट्रलिटी का लक्ष्य पार कर लिया। कंपनी ने 35 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में 54,000 टन से ज्यादा प्लास्टिक कचरे को एकत्रित एवं सस्टेनेबल तरीके से प्रबंधित किया। कंपनी ने जितना प्लास्टिक प्रबंधित किया, वह पूरे साल कंपनी द्वारा पैकेजिंग में प्रयोग हुई प्लास्टिक की मात्रा से ज्यादा है, जिससे कंपनी ने प्लास्टिक न्यूट्रलिटी का लक्ष्य हासिल कर लिया।

एक दशक से अधिक समय से कंपनी एक समग्र 360-डिग्री सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोग्राम चला रही है जो सर्कुलर इकोनॉमी के सिद्धांतों पर आधारित है और इसमें एक संपूर्ण वेस्ट वैल्यू चेन समाहित है।

एफएमसीजी और हॉस्पिटेलिटी में बड़े पैमाने पर संचालन कर रही कंपनी के लिए प्लास्टिक न्यूट्रलिटी के लक्ष्य से आगे निकल जाना एक सराहनीय उपलब्धि है। यह मील का पत्थर पर्यावरण और सामाजिक पूंजी को बढ़ाने के लिए आईटीसी की प्रतिबद्धता का एक और प्रतिबिंब है, जो चेयरमैन श्री संजीव पुरी के सस्टेनेबिलिटी 2.0 विजन के अनुरूप है। यह विजन समावेशी रणनीति पर केंद्रित है, जिससे हम ज्यादा से ज्यादा लोगों के लिए आजीविका के विकल्प दे सकें और जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए नए रास्ते भी अपना सकें।

आईटीसी ने इन-हाउस इनोवेशन पर केंद्रित समग्र पहलों के अपने पोर्टफोलियो को विस्तार देते हुए स्रोत पृथक्करण (स्रोत पर ही कचरे को अलग करने) पर केंद्रित मजबूत वेस्ट मैनेजमेंट प्रोग्राम और व्यापक प्रभाव वाली सस्टेनेबल बिजनेस प्रक्रियाओं की मदद से यह मील का पत्थर हासिल किया है।

श्री संजीव रंगरास, ग्रुप हेड, आईटीसी लाइफ साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी, सेंट्रल प्रोजेक्ट्स, ईएचएस एंड क्वालिटी एश्योरेंस, आईटीसी लिमिटेड ने कहा, ‘दशकों से आईटीसी ने एंड-टु-एंड वेस्ट मैनेजमेंट में अग्रणी पहल की है। बड़े पैमाने पर और एकीकृत सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोग्राम के माध्यम से आईटीसी इस साल प्लास्टिक न्यूट्रलिटी से आगे निकल गई। इसके अलावा कंपनी अपने कारोबार में प्लास्टिक पैकेजिंग के स्थायी विकल्प विकसित करने के लिए अत्याधुनिक इनोवेशंस का भी उपयोग कर रही है। यह मील का पत्थर पार करना हमारे सभी भागीदारों के अथक प्रयासों के कारण संभव हुआ है और मैं इस अवसर पर देश के सामने मौजूद कुछ प्रमुख सस्टेनेबिलिटी संबंधी चुनौतियों का समाधान करने के लिए सार्थक योगदान देने की टीम आईटीसी की सोच के लिए उन्हें बधाई देता हूं। प्लास्टिक न्यूट्रलिटी और कचरे के सस्टेनेबल मैनेजमेंट के लक्ष्य से आगे निकलने की दिशा में हमारे प्रयास आगामी वर्षों में हमारे सस्टेनेबिलिटी 2.0 एजेंडा का हिस्सा रहेंगे।’

आईटीसी ने फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स, होटल, पेपरबोर्ड और पैकेजिंग के क्षेत्र में कंपनी के परिचालन में प्लास्टिक को कम करने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया है। इसमें नेक्स्ट जेनरेशन के पर्यावरण के अनुकूल पैकेजिंग विकल्प तैयार करना, अपनी प्रमुख कचरा प्रबंधन पहल ‘आईटीसी वॉव – वेल-बीइंग आउट ऑफ वेस्ट (कचरे से कुछ उपयोगी बनाना) के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में केंद्रित कदमों के तहत बड़े पैमाने पर कचरा संग्रह कार्यक्रम चलाना; आईटीसी के होटलों में सिंगल यूज प्लास्टिक के प्रयोग को खत्म करने के लिए रेस्पॉन्सिबल लक्जरी के सिद्धांत के अनुरूप प्लास्टिक मुक्त परिचालन करना और प्लास्टिक की कमी व प्रबंधन को केंद्र में रखते हुए सस्टेनेबिलिटी के लिए इनोवेटिव मॉडल शामिल हैं। अपने परिचालन क्षेत्र में आईटीसी एक दशक से अधिक समय से 99% से अधिक कचरे की रीसाइकिलिंग कर रही है।

आईटीसी वॉव पहल सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से स्वच्छ व हरित वातावरण के निर्माण को सक्षम बनाती है। इसने अब तक भारत में 46.7 लाख घरों में 1.8 करोड़ लोगों को जोड़ा है। वर्तमान में बेंगलुरु, मैसूर, हैदराबाद, तेलंगाना के प्रमुख शहरों, कोयंबटूर, चेन्नई, तिरुपुर, कोचीन, मुजफ्फरपुर, दिल्ली और आंध्र प्रदेश के कई जिलों में चल रही इस पहल ने अपनी स्थापना के बाद से 52 लाख से अधिक स्कूली बच्चों और 2,000 कॉरपोरेट्स में जागरूकता बढ़ाई है। इस पहल ने नगर निगमों के सहयोग से एक प्रभावी संग्रह प्रणाली की सुविधा प्रदान करके 16900 से अधिक कचरा संग्रहकर्ताओं के लिए स्थायी आजीविका भी बनाई है।

वॉव के अलावा, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट (एसडब्ल्यूएम) पर एक अलग आईटीसी प्रोग्राम, जो गीले और सूखे कचरे दोनों से संबंधित है, 9 राज्यों के 17 जिलों में 14.6 लाख परिवारों को कवर करता है। मल्टी लेयर्ड प्लास्टिक को डिस्पोज करने और रीसाइकिल करने के संबंध में चुनौतियों को स्वीकार करते हुए आईटीसी ने पुणे में अपनी तरह का पहला टिकाऊ और समावेशी मल्टी लेडर्य प्लास्टिक (एमएलपी) प्रबंधन मॉडल भी पेश किया है।

कंपनी की कचरा प्रबंधन पहल न केवल यह सुनिश्चित करती है कि लैंडफिल तक कम कचारा जाए, बल्कि कचरे से बेहतर मूल्य पाने में भी सक्षम बनाती है, जिससे एकत्र करने से लेकर उन्हें अलग करने वालों के लिए अतिरिक्त आय का जरिया बनता है। कंपनी के कचरा प्रबंधन कार्यक्रमों में लचीले, सख्त और टेट्रा पैक सहित सभी के तरह के प्लास्टिक कचरे शामिल हैं।

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