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बीसी सखी (बैकिंग काॅरेस्पोंडेंट) से प्रदेश की महिलायें हो रही हैं आत्मनिर्भर

लखनऊ: लखनऊ उत्तर में बीसी सखी (बैकिंग काॅरेस्पोंडेंट) से प्रदेश की महिलायें हो रही हैं आत्मनिर्भर
उत्तर प्रदेश सरकार ने महिलाओं को रोजगार देने के लिए सबसे बड़ी पहल की है। गांव-गांव तक बैकिंग सेवाओं को पहुंचाने के लिये 58,000 बीसी सखी (बैकिंग काॅरेस्पोंडेंट) बनाने का काम पूरा कर लिया है। सभी चयनित बीसी सखी का प्रशिक्षण पूरा हो चुका है सरकार की इस नीति से बैंकिंग सेवाएं लोगों के घरों तक पहुंच रही है। ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को अपने बैंक खातों से धनराशि निकालने और उसमें पैसा जमा करने में बड़ी आसानी हुई हैं उनका बैंक शाखाओं तक जाने का समय व खर्चा बच रहा है और घर के करीब ही बैंक के रूप में बीसी सखी मिल जा रही है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश बनाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए मिशन रोजगार, मिशन शक्ती और मिशन कल्याण जैसी अनेक योजनाओं को शुरू किया है। इसके क्रियान्वयन हेतु तैयार किये गये कार्यक्रम के अनुसार सरकार के संबद्ध विभाग तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं। इस क्रम में बैंक ऑफ बड़ौदा और यूको बैंक के सहयोग से यूपी इंडस्टि्रयल कंसलटेंट्स लि० (यूपीकाॅन) ने बीसी सखी (बैंकिंग काॅरेस्पोंडेंट) बना लिये हैं। बीसी सखी बनाने का लक्ष्य को पूरा करने में लगे हैं गांव से लेकर शहरों में बीसी सखी 24 घंटे बैंकिंग सेवाएं दे रही हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य की सभी महिलाओं को लाभ पहुंचाने के लिए बीसी सखी योजना की शुरूआत की है। इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश राज्य की सभी महिलाओं को रोजगार के नए अवसर मिले हैं। उ०प्र० राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की ओर से प्रदेश में बीसी सखी बनाने का कार्यक्रम बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ मिलकर किया जा रहा है। यूपी इंडस्टि्रयल कंसल्टेंट्स लि० (यूपीकाॅन) भी सहयोगी की भूमिका निभा रहा है। इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति, वित्त एवं विकास निगम लि० के माध्यम से 500 अनुसूचित जाति के युवक-युवतियों को रोजगार के अवसर देते हुए बीसी बनाए थे। बीसी सखी बनाने के लिए पूर्व सैनिकों, पूर्व शिक्षकों, पूर्व बैंक कर्मियों और महिलाओं को प्राथमिकता दी गई है। बीसी सखी बनने के लिए योग्यता में 12वीं कक्षा पास होना अनिवार्य किया गया है। अभ्यर्थी को कम्प्यूटर चलाना भी आना चाहिए, उस पर कोई वाद या पुलिस केस नहीं होना चाहिए। ऐसे अभ्यर्थी के चयन से पहले एक छोटी सी परीक्षा भी ली जाती है। इसमें उत्तीर्ण होेने वाला अभ्यर्थी बीसी सखी बन सकता है।
बीसी सखी योजना से जुड़ने वाली महिलाओं को सम्मानजनक काम मिलने के साथ लोगों की सेवा करने का भी बड़ा अवसर मिल रहा है। लोगों को तत्काल बैंकिंग सेवा मिलने से उन्हें खुद को भी खुशी होती है। बीसी सखी बनने के बाद ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के भविष्य सुरक्षित करने के लिए प्रत्येक माह एक निश्चित आमदनी का माध्यम बना है। उन्हें एक स्थायी रोजगार मिला है। बीसी सखी योजना के तहत बैंकिंग सेवाओं को घर-घर देना रोजी-रोटी का एक बेहतर साधन बना है। इससे सबसे अधिक फायदा बैंक के ग्राहकों को हुआ है। उनको बैंक में लाइन लगाने और समय लगाना बंद हो गया है और बैंक तक जाने का समय किराया भी उनका बचा है। छोटे स्तर पर बैंकिंग सेवाएं लोग बीसी सखी से ले रहे हैं।
प्रदेश सरकार की इस योजना का लाभ सबसे अधिक बैंक ग्राहकों को मिल रही है। सरकार की ओर से बैंकिंग सेवाओं को बड़ी सौगात खासकर गांव के लोगों को दी जा रही है। ग्रामीण पहले बैंक से पैसा निकालने और जमा करने में आने-जाने में जो खर्चा करते थे उसकी भी बचत हो रही है। प्रदेश में 58185 जी०पी० के सापेक्ष 56,000 बी०सी० सखी का चयन पूर्ण कर लिया गया है। 41869 बीसी सखी को आरसेटी द्वारा प्रशिक्षण एवं आईआईबीएफ द्वारा प्रमाण पत्र दिया गया है। 36389 बीसी सखी को समय से धनराशि अंतरण 29561 बीसी सखी द्वारा माइक्रो एटीएम का क्रय का कार्य किया गया है। बीसी सखी द्वारा वर्ष 2020-21 में 154.40 करोड़ धनराशी का ट्राॅजेक्शन तथा 2021-22 में 2200 करोड़ रू० का ट्राॅजेक्शन किया गया है। प्रदेश सरकार की इस नीति से ग्रामीण स्तर पर महिलायें आत्मनिर्भर हो रही हैं।
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