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पटना:-सांसें फूल रही है लोगों की बैंक के चक्कर काटते, क्या ऐसे बनेंगे लोग लोकल से भोकल!

कार्यकारी संपादक पंकज कुमार ठाकुर!

केंद्र से लेकर राज्य सरकार युवाओं को लोकल से वोकल बनने के लिए प्रेरित कर रही है। सवाल यह उठता है कि युवा से लेकर किसान आखिर कैसे लोकल से वोकल बने। इस ओर न तो किसी का ध्यान है और न ही कोई अभी तक कोई स्पष्ट रोडमैप दिखने को मिल रहा है। यही कारण है कि बिहार में बैंक के कर्ज देने की रफ्तार लगातार गिरती जा रही है। हालांकि सरकार लंबे चौड़े कसीदे जरूर गढ़ते हैं कि लाखों रोजगार सृजित किए जा रहे हैं। हालांकि सरकार के मंत्री ही अब कलई खोलने में लग गए हैं। सत्तासीन सरकार के पशु एवं मत्स्य विभाग के मंत्री मुकेश सहनी ने राज्यस्तरीय बैंकर्स कमेटी की बैठक में खुद कबूला कि एक लाख के लोन लेने के लिए लोगों को पांच हजार नजराना पेश करना पड़ता है। हालांकि मंत्री जी ने बाद में मामले को समझते हुए अपनी फिसली जुबान को फिर से सुधारा। अब ऐसे में हुजूर किसानों को जहां केसीसी के लिए कई बैंकों के दरवाजे पर दस्तक देना पड़ रहा है फिर भी लोन मयस्सर नहीं है। जबकि बिना गारंटी वाली लोन की बात दीगर है। दरअसल, सूत्रों पर अगर यकीन करें तो कई ऐसी बैंक के बाहर बिचौलिए की बैंक मैनेजर से सांठगांठ बनी हुई रहती है। नाम ना छापने के शर्त पर भी बिचौलिए बताते हैं कि आप जितनी मर्जी बैंक का चक्कर काट लें जब तक हमारे पास आपकी कागज नहीं पहुंचेगा तब तक लोन मुश्किल है। हालांकि बांका को भी लोन देने में पिछड़ने वाले जिलों में रखा गया है।

लोन देने में पिछड़ने वाले जिले!

बांका ,भागलपुर, मुंगेर ,समस्तीपुर, लखीसराय,सीतामढ़ी, बक्सर कटिहार, जहानाबाद, गोपालगंज चंपारण, सारण, भोजपुर ,बक्सर के अलावे और कई जिला शामिल है।

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