स्वयंचलित ई-रथ वाहन का उत्पादन एमआईटी डब्ल्यूपीयू के स्कूल ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग के छात्रों की सफलता
पुणे:एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग के फाइनल ईयर के छात्रों ने एक स्वचालित ई रथ वाहन बनाया है. रिमोट ड्राइवेबिलिटी और ऑटोनॉमस ड्राइविंग क्षमता के साथ चार पहियों वाले ई रथ इलेक्ट्रिक वाहन को सफलतापूर्वक डिजाइन किया गया.
छात्रों की सफलता के बारे में एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. डॉ. विश्वनाथ दा. कराड औश्र कार्यकारी अध्यक्ष राहुल विश्वनाथ कराड ने भविष्य की कामना की. साथ ही इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख डॉ. प्रसाद खांडेकर, डॉ. भरत चौधरी, डॉ. अनिल हिवाले, डॉ. विनय गोहोकर, डॉ. अनुराधा फडके, डॉ ,सुनिल सोमाणी और डॉ. जी.एन. मुले ने छात्रों को बधाई दी.
वाहन का निर्माण इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार इंजीनियरिंग के छात्रों मिराज इनामदार, प्रज्वल वर्नेकर, साईबाबा नरगुंड, प्रथमेश वाणी और मैकेनिकल छात्रों अद्वैत उतगीकर, सौमित्र महाजन और पूर्वा अपराज द्वारा किया गया है. इन छात्राेंं को डॉ. अल्का एस. बारह और प्रा. पी.एस. महाजनी ने मार्गदर्शन किया.
ई रथ मैनुअल ड्राइव के साथ साथ कंप्यूटर और रेडियो नियंत्रण के माध्यम से रिमोट ड्राइव करने में सक्षम है. इसमें ओपन डिफरेंशियल एक्सल वाली इलेक्ट्रिक मोटर है जो ड्रम ब्रेक के साथ आती है. इसकी ऑनबोर्ड लोड क्षमता २०० किलोग्राम और टोइंग क्षमता ३०० किलोग्रॅम है. इसकी गति सीमा ३० किमी प्रति घंटा है और इसके दोहरे अनुप्रयोग तंत्र के कारण एक अद्वितीय ब्रेक असेंबली है. इसलिए इस वाहन को मैनुअल और रिमोट दोनों मोड में बोल्ट ऑफ प्रोसेस के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है.
इसमें ओसीएम इलेक्ट्रॉनिक पावर स्टीयरिंग सिस्टम है. दिशा को नियंत्रित करने के लिए रिमोट मोड में लगातार इस्तेमाल किया जा सकता हैा. थ्रॉटल सिस्टम डुअल चैनल सिस्टम में भी सुधार किया गया है. यह भौतिक पैडल और ऑनबोर्ड कंप्यूटर से इनपुट प्राप्त करता है. यह वाहन के लोकोमोटिव को आसान और अधिक कुशल बनाता है.
छात्र प्रज्वल वर्नेकर ने कहा, इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण में बहुत सारे नवीन शोध किए जा रहे ह. हमने वहीं प्रयास किया है. ऑटोमोटिव संदर्भ के बारे में मेरे जो विचार है, उन्हें सच होने के लिए आकार दिया गया है.
मिराज इनामदार ने कहा, यह मेरे लिए बहुत अच्छा मौका था, वाहनों में बदलाव को देखते हुए मैनुअल से ऑटोनॉमस में बदलाव ज्यादा दूर नहीं है. थोड़े समय में, सीमित धन और प्रत्येक चरण की जटिलता को ध्यान में रखा जाता है. इस मौके लिए आपका शुक्रिया.
साईबाबा नरगुंड ने कहा, इस परियोजना के दायरे में आमूल चूल परिवर्तन के बावजूद विभिन्न मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल और सॉफ्टवेयर सिस्टम का एकीकरण और कार्यान्वयन एक बडी चुनौती है.