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पांडुरंग की शरण में जानेवालों का होता उध्दार..!

पांडुरंग की शरण में जानेवालों का होता उध्दार
ह.भ.प.आसाराम महाराज बडे के विचार-पालकी प्रस्थान समारोह के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन

पुणे : पांडुरंग के सामने तन और मन से आत्मसपर्मण होने वाले भक्तों का उध्दार होता है. सच्ची भक्ति याने किसी के चरण छुना नहीं है बल्कि दूसरों के लिए सुख और शांति देना है. भक्ति में कभी भी एकाकी लेन देन नहीं होता है. हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि हमं सदगुणों को अधिक महत्व देने की बजाए अपनी खामियों पर लक्ष्य केन्द्रित करे. यह विचार संत सहित्य के अध्ययनकर्ता हभप आसाराम महाराज बडे ने रखे.
विश्वशांति केन्द्र (आलंदी), माईर्स एमआईटी, पुणे तथा श्री क्षेत्र आलंदी-देहू परिसर विकास समिति के संयुक्त तत्वावधान में श्री संत ज्ञानेश्वर तुकाराम ज्ञानतीर्थ विश्वरूप दर्शन मंच श्री क्षेत्र आलंदी में पालकी समारोह प्रस्थान को लेकर यूनेस्को अध्यासन अंतर्गत लोकतंत्र, मानवाधिकार, शांति और सहिष्णुता के लिए लोक शिक्षा का अभिनव उपक्रम के उद्घाटन मौके पर बोल रहे थे.
इस अवसर पर विश्वशांति केन्द्र (आलंदी), एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड, आलंदी नगर पालिका की मेयर वैजंती उमरगीकर, अशोक उमरगीकर, विनायकराव देशमुख पाटिल और हभप डॉ. सुदाम महाराज पानेगांवकर उपस्थित थे.
हभप आसाराम महाराज बडे ने कहा, मंदिर में भक्तों की भीड लगाने के बजाय अपने घर को मंदिर बना ले. पांडुरंग को देखकर ईमानदारी से कर्म करना चाहिए. आपकी वाणी मधुर होनी चाहिए. भक्तों को संत के वचन, ईश्वर के वचन और कानून के वचन को छोडकर व्यवहार नहीं करे. भक्तो को हमेशा सेवा परमोधर्म के सिध्दांत को ध्यान में रखना चाहिए. वारकरियों को तीर्थ क्षेत्र को साफ रखना चाहिए. उन्होंने अपने अंदर की सभी बुरी चीजों को छोड देना चाहिए और अच्छे गुणों को साफ रखना चाहिए.
वैजंती उमरीगर ने कहा, सभी वारकरियों का आलंदी नगर पालिका द्वारा स्वागत किया जा रहा है. इस तीर्थ के परितर्वन में डॉ. विश्वनाथ कराड का अमूल्य योगदान है. उन्हीं की प्रेरणा से नगर पालिका ने वारकरियों के लिए अच्छा जल मुहैया कराया है.
प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा, त्याग की मूर्ति प्रयागअक्का के आशीर्वाद से इस घाट का निर्माण हुआ है. ज्ञान, भक्ति और कर्म की परंपरा वारकरी संप्रदाय की है. सद्गुणों की पूजा ही ईश्वर सेवा है. इस व्रत के साथ मैने आज तक कार्य किया है. मै निमित्त मात्र बनकर माऊली मुजसे कार्य करा रहे है. आलंदी और देहू का असली स्वरूप दुनिया के सामने लाने का प्रयास किया है. भविष्य में वारकरी संप्रदाय ही दुनिया को सुख, समाधान और शांति की राह दिखाएगा.
विनायक देशमुख पाटिल ने कहा, बिना स्वार्थ के समाज और देश सेवा के लिए डॉ. कराड कार्य कर रहे है. उन्होंने अध्यात्म और शिक्षा क्षेत्र में दिया हुआ योगदान निस्वार्थ होने के साथ एक दिशा दर्शक है. अब वेें विश्वशांति के प्रति आसक्त है. भगवान ने भेजे हुए वे एक मणुष्य देवता है.
इसके बाद जालना के हभप डॉ. सुदाम महाराज पानेगांवकर का कीर्तन हुआ. साथ ही अमोल पटवर्धन और कल्याणी शेट्टी तथा आदिनाथ कुटे ने भक्ति संगीत का प्रदर्शन किया. पश्चात इंद्रायणी माता की आरती हुई.
डॉ. सुरेद्र हरकर और शालिक खंडारे ने सूत्रसंचालन किया. महेश महाराज नलावडे ने सभी का आभार माना.

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