महाराष्ट्र के सियासी ड्रामें पर मध्य प्रदेश में घमासान, कमलनाथ के सहारे कांग्रेस
महाराष्ट्र का सियासी ड्रामा अब तेज होता जा रहा है, शिवसेना के बागी विधायक असम में डेरा जमाए हुए हैं, लेकिन इस सियासी ड्रामें का असर मध्य प्रदेश में भी दिख रहा है. मध्य प्रदेश में बीजेपी कांग्रेस के नेता कमलनाथ को लेकर आमने-सामने हैं.
भोपाल एमपी: महाराष्ट्र में चल रही राजनीतिक उठापटक को लेकर मध्य प्रदेश में भी घमासान देखने को मिल रहा है, बीजेपी और कांग्रेस के नेता इस मुद्दे को लेकर एक दूसरे पर निशाना साध रहे हैं. दरअसल, कांग्रेस ने कमलनाथ को महाराष्ट्र का इंजार्ज बनाया है, ऐसे ममें बीजेपी के नेता उन पर निशाना साध रहे हैं. वहीं अब इस मामले में कांग्रेस ने भी पलटवार किया है.
दरअसल, महाराष्ट्र में चल रही सियासी हलचल से मध्य प्रदेश में हुए सत्ता परिवर्तन की यादें ताजा हो गई हैं. महाराष्ट्र सरकार में शिवसेना के विधायकों में हुई बगावत के बाद सरकार में कांग्रेस ने भी अपने विधायकों को एकजुट रखने की कोशिश शुरू कर दी है. ऐसे में कांग्रेस ने बड़ा फैसला लेते हुए मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को महाराष्ट्र का इंजार्ज बनाया है. कमलनाथ ने आज महाराष्ट्र कांग्रेस के सभी विधायकों के साथ बैठक भी की है. लेकिन कमलनाथ के महाराष्ट्र इंजार्ज बनते ही बीजेपी ने उन पर निशाना साधना शुरू कर दिया.
कमलनाथ महाराष्ट्र नहीं बचा पाएंगेः बीजेपी
बीजेपी का कहना है कि महाराष्ट्र में सियासी उठापटक के बीच कांग्रेस ने कमलनाथ को डैमेज कंट्रोल की जिम्मेदारी दी है, लेकिन जो अपना घर नहीं बचा पाए वो महाराष्ट्र को क्या बचाएंगे. जब मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकार थी, तब कमलनाथ पैसे देखते रह गए और उनके विधायक चले गए. महाराष्ट्र के विधायक उनकी क्या बात मानेंगे. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने वीडी शर्मा ने कहा कि कमलनाथ मध्य प्रदेश की तरह महाराष्ट्र का भी बंटाधार करके आएंगे.
कांग्रेस का पलटवार
बीजेपी नेताओं के लगातार हो हमलों पर अब कांग्रेस ने भी पलटवार शुरू कर दिया है. कांग्रेस नेता संगीता शर्मा ने कहा कि ”बीजेपी मध्य प्रदेश में हो रहे नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में टिकट बंटवारे और मैनेजमेंट को नहीं संभाल पा रही है, लेकिन हम पर निशाना साध रही है. वहीं कमलनाथ को जिम्मेदारी दिए जाने पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस आलाकमान ने कमलनाथ को जिम्मेदारी दी है वह मैनेजमेंट करेंगे, बीजेपी ने मध्य प्रदेश में खरीद फरोख्त करके सरकार बनाई थी, लेकिन महाराष्ट्र में ऐसा नहीं होने दिया जाएगा.