शिवराज सिंह राजपूत की रिपोर्ट-
बलरई रेलवे स्टेशन परिसर वर्षा से जलमग्न,रेलवे अधिकारियों का जीना दुर्लभ-
विभागीय वरिष्ठ अधिकारी कुंभकर्ण की नींद से कब जागेंगे-
क्या ढोल तासे हाथी गजा , व्यंजन चाहिए ,तभी जागोगे..!
इटावा यूपी: जसवंतनगर के अन्तर्गत आने वाले बलरई रेलवे परिसर कॉलोनी में आम रास्ते पर कीचड़ व जलभराव से बलरई परिसर जलमग्न हो गया है। जिससे रेलवे कर्मियों व उनके परिजनों का कॉलोनी से निकलना दुर्लभ हो गया है।
कुछ दिनों पहले रेलवे विभाग ने पक्का सड़क मार्ग तो बनाया था मगर , लेकिन वह कुछ ही दूरी तक सिमट कर रह गया। जबकि अंडर पास के बगल से जाने बाला रास्ता अभी तक कच्चा ही पडा है जिस कारण रेलवे स्टेशन तक जाने के लिए बारिश के समय कीचड़ और गड्ढों से कूदकर जाना पड़ता है। समस्या केवल रेलवे कॉलोनी परिसर के लोगों के लिए ही नहीं बल्कि स्टेशन से यात्रा करने बाले सैकड़ों यात्रियों के लिए भी है। उक्त रेलवे कॉलोनी में रहने बाले कर्मचारियों को आने जाने के लिए सिर्फ यही एक मुख्य मार्ग है वो भी बरसात के समय बुरी तरह दलदल बन जाता है जिसमें से बाइक या फिर अन्य वाहनों को निकालना और मुसीबत बन जाता है।
बताया गया है कि कॉलोनी में करीब सैकड़ा भर रेलवे कर्मी परिवार सहित रहते हैं जिनके आने जाने के लिए यही एक मुख्य मार्ग है। जब बरसात हो जाती है तो बाजार आने जाने व दवा लेने के लिए आने जाने में दिक्कत होती है वही स्टेशन से यात्रा करने बाले सैकड़ों यात्रियों को भी समस्याएं झेलनी पड़ रही है। ऐसे में विभाग को कई बार अवगत भी कराया गया लेकिन सिर्फ 100 से 150 मीटर तक का पक्का सड़क मार्ग डीफसीसी द्वारा बना दिया गया है जबकि इन कर्मचारियों के निवास स्थान तक लगभग दोनों छोरों पर 500-500 मीटर दूर तक सड़क मार्ग कच्चा है और जो बनाया गया है वो बीच रास्ते में बनाया गया है।
बताते हैं कि पहले जब दिक्कतों का सामना करना पड़ता था तो रेल्वे ट्रैक के सहारे पड़ी हुई गिट्टियों से कर्मचारी और यात्री निकल जाते थे, लेकिन जब से डीएफसीसी रेलवे ट्रैक चालू होने के बाद बेरिकेटिंग हो गई है तो यात्रियों और रेलवे कर्मचारियों को कीचड़ से छुटकारा नही मिल रहा है।
बलरई परिसर रेलवे कॉलोनी व अन्य कर्मचारी रहते हैं जो इस कीचड़ व जलभराव की समस्या से जीना दुर्लभ हो गया।