करिश्मा कृष्ण कुमार लिखीत-लैंडेड 21:12 पुस्तक का विमोचन पुणे संपन्न.
युवा और माता-पिता अवश्य पढें.
पुणे: पीढ़ी की लेखिका करिश्मा कृष्ण कुमार द्वारा लिखित ‘लैंडेड 21:12’ इस पुस्तक का प्रकाशन हाल ही में पुणे में संपन्न हुआ. यह पुस्तक भारत में अमेज़ॉन पर और अमेरिका, यूरोप, कनाडा और दुनिया भर के कई देशों में भी उपलब्ध है.
लैंडेड 21:12 करिश्मा कृष्ण कुमार की पहली पुस्तक है. यह किताब उन पांच युवकों के बारे में है जो दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए पुणे के एक कॉलेज में आते हैं. कैसे उनके सामने कठिनाइयाँ आती हैं और वे कैसे इन कठिनाइयों और परीक्षाओं का सामना करते हैं इस बात का विस्तृत विवरण आप किताब में पढ़ सकते हैं, साथ ही उनके माता-पिता भी इन सबक कैसे सामना करते हैं इस पर कहानी लिखी गई है.
यह पुणे की कहानी है. कैसे यह युवा प्रारंभिक वर्षों में मनोवैज्ञानिक चुनौतियों का सामना करते हैं और उनके निर्णयों के परिणामों स्वरूप वह किन मुश्किलों में पड जाते है इन सभी का विस्तृत विवरण किताब में दिया गया है.
लैंडेड 21:12 एक ऐसी किताब है जिसे न केवल किशोरों को बल्कि माता-पिता, शिक्षकों और शिक्षा प्रणाली से जुड़े सभी को भी पढ़नी चाहिए. इस पुस्तक को विदेशों में मेनस्ट्रीम, प्रेस और मशहूर हस्तियों से पहले ही प्रशंसा मिल चुकी है.
आत्महत्या, बूरी लत, मानसिक सदमा, धोका, दोस्ती, विश्वास और अटूट बंधन आदि पेहलू पुस्तक का मूल स्रोत हैं. यह पुस्तक इन युवाओं के कॉलेज के दिन, उनकी भावनाओं, और अनुभवों का वर्णन करती है. अप्रत्याशित कारणों से ये युवा कैसे समझदार और जिम्मेदार बनते हैं और उनकी अपेक्षाओं या योजनाओं के विपरीत उनके लिए जीवन ने क्या सामने ला रखा है, इस बात को पुस्तक में विस्तार से पढ़ा जा सकता है.
कहानी 5 मुख्य पात्रों और उनके माता-पिता के इर्द-गिर्द घूमती है, जो उनके आपसी संबंधों के बारे में है. जैसे-जैसे युवा बड़े होते हैं, उनकी तेजी से बढ़ती इच्छाएं, उन पर दूसरों के साथ चलने का दबाव, उनके माता-पिता का तनाव दर्शाता है कि छात्र और उनके माता-पिता दोनों अलग-अलग ट्रैक पर दौड़ रहे हैं. यह पुस्तक इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे अधिकांश लोग मानसिक बीमारी को नजरअंदाज कर देते हैं और यह नहीं समझ पाते कि युवाओं के साथ कैसे व्यवहार किया जाए.