बाधाओं से लड़कर कामयाब हुई नमिता कोहोक का कार्य प्रेरक
प्रा. डॉ. संजय बी. चोरडिया की राय; डॉ. नमिता कोहोक को ‘मिसेस सूर्यदत्त २०२२’, ‘सूर्यभूषण २०२२’ पुरस्कार
पुणे : “पहली कीमोथेरेपी के दौरान मेरी पहली कंपनी शुरू की। मुझे जोखिम लेना पसंद है। मेरा मानना है कि सफलता बिना जोखिम के नहीं मिलती। यह कई बार सिद्ध हो चुका है कि दृढ़ संकल्प तभी सामने आता है जब हालात परीक्षा ले रही हो। अचानक सौंदर्य प्रतियोगिता में प्रवेश किया और ताज हासिल किया। कैंसर से पीड़ित महिला में कितनी ताकत होगी, ऐसा बोला गया तब मैंने पावरलिफ्टिंग शुरू की और दो बार स्वर्ण पदक जीता,” ऐसी भावना कैंसर पीडित पहली ‘मिसेस ग्लोबल युनायटेड लाईफटाईम क्वीन २०१८’ डॉ. नमिता कोहोक व्यक्त की.
सूर्यदत्त ग्रुप ऑफ इन्स्टिट्यूट द्वारा आयोजित ओरिएन्टेशन कार्यक्रम में डॉ. कोहोक ने छात्रों के साथ संवाद किया. डॉ. कोहोक ने अपनी प्रेरणात्मक, संघर्षपूर्ण जीवन कहानी छात्रों बताते हुए उन्हें कई कानमंत्र दिए. इस समय उन्हें सूर्यदत्त ग्रुप ऑफ इन्स्टिट्यूट के संस्थापक अध्यक्ष प्रा. डॉ. संजय बी. चोरडिया के हाथो सूर्यदत्त ग्लोबल फिनिशिंग स्कुल द्वारा ‘मिसेस सूर्यदत्त यूनिवर्स ग्लोबल २०२२’ व सूर्यदत्त ग्रुप ऑफ़ इन्स्टिट्यूट द्वारा ‘सूर्यभूषण राष्ट्रीय पुरस्कार २०२२’ से नवाजा गया. इस समय निवृत्त कर्नल सुरेश पाटील उपस्थित थे.
डॉ. नमिता कोहोक ने कहा, “सड़क पर वाहन चलाते समय अक्सर तेज सायरन की आवाज सुनाई देती है, तो उस समय कोई जीवन और मृत्यु के लिए लड़ रहा होता है। ऐसे समय में हमें उस एम्बुलेंस को सड़क खुली कर के देना चाहिए. हम ‘मदर्स डे’ मनाते है. लेकिन माँ हमारे लिए रोज जरुरी है. हर दिन उसका होता है. जीने-मरने के इस काल में मैंने यह सब चीजे अनुभव की है. मेरी कंपनी के अनावरण समारोह पर ३०० लोगो ने आने का आश्वासन दिया था लेकिन केवल १२ लोग आए थे. तब मुझे बहुत बुरा लगा था. लेकिन मेरे पिता ने मुझे धीरज दिया। उसी से प्रेरणा लेकर काम शुरू किया. आज तीन स्कुल से लेकर शुरू हुआ काम १३२ स्कूलों तक पहुंचा है. ४४ साथी मेरे साथ काम कर रहे है. इनमे से ४० प्रतिशत लोग कँसर पीडित है. दूसरे के बुरे समय में मदद करना मन को शांति देता है.”
“अस्पताल की नर्स ने मिसेज इंडिया के लिए मेरा आवेदन भरा। ऐसे लोगों से मिलने से मुझे उस प्रतियोगिता में सफलता मिली। सामाजिक कार्यों के लिए एक सौंदर्य प्रतियोगिता के लिए हांगकांग गई थी। तभी पैठणी पहनकर रैंप वॉक करने के बाद मुझे खासतौर पर अपने पारंपरिक परिधान के लिए ‘ग्लोरी ऑफ ट्रेडिशन’ नाम दिया गया। वह ‘मिसेज इंटरनेशनल वर्ल्ड वाइड’ के खिताब के साथ वापस आईं। फिर मैं नर्स से मिला और उसे बड़ा मुकुट दिखाया और उसका तहेदिल से शुक्रिया अदा किया। मिसेज ग्लोबल यूनाइटेड 2017 कैंसर पीड़ितों के लिए एक प्रतियोगिता थी। लोग याद करते हैं कि हम कैसे कार्य करते हैं। हमारी बात मीठी होनी चाहिए। इस प्रतियोगिता में हम सभी कैंसर पीड़ित थे। हर कोई अपनी शारीरिक और मानसिक समस्याओं से लड़ने में कामयाब हुआ है,” ऐसा डॉ. कोहोक ने बताया.