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ज्ञान का जुनून और मानवता से सफलता के शिखर पर पहुंचा जा सकता

ज्ञान का जुनून और मानवता से सफलता के शिखर पर पहुंचा जा सकता
‘ राइड इनोवेशन कॉन्क्लेव’ के उद्घाटन पर नमिता थापर के विचार
एमआईटी डब्ल्यूपीयू में ५ दिवसीय कॉन्क्लेव शुरू
१०० से अधिक स्टार्टअप

पुणे : ज्ञान के भूख का जुनून और मानवता इन दो सूत्रों की ताकत के साथ प्रत्येक व्यक्ती सफलता के शिखर तक पहुंच सकता है. ऐसे विचार मैक्योर फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड की कार्यकारी निदेशक नमिता थापर ने रखे.
एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के इनोवेशन कॉन्क्लेव द्वारा रिसर्च, इनोवेशन, डिजाइन एंड एंटरप्रेन्योरशिप विषय पर आयोजित पांच दिवसीय कार्यक्रम राइड इनोवेशन कॉन्क्लेव २०२२ के उद्घाटन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे.
इस मौके पर आईआईएम लखनऊ के मार्केटिंग डायरेक्टर डॉ. सत्यभूषण डॉस विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने निभाई.
साथ ही एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के कार्यकारी अध्यक्ष राहुल विश्वनाथ कराड, कुलपति डॉ. आर.एम.चिटणीस, प्र कुलपति डॉ. मिलिंद पांडे, प्र कुलपति डॉ. तपन पाण्डा, सेंटर फॉर इंडस्ट्री एकेडेमिया पार्टनरशिप के वरिष्ठ निदेशक प्रवीण पाटिल और डॉ.प्रसाद खांडेकर उपस्थित थे.
नमिता थापर ने कहा, देश के उद्योग जगत में एक बड़ा बदलाव देखा जा रहा है. उनके पदचिन्हों को पहचानते हुए युवाओं को अनुसंधान और नवाचार के साथ साथ ज्ञान की भूख को कभी कम नहीं होने देना चाहिए. हमेशा नई चीजें सीखते रहें. हमेशा लक्ष्य को ध्यान में रखकर काम करें. युवाओं ने खुद को साबित कर दिया तो सफलता आपका पीछा करेगी. अपने आप से प्यार करें और जीवन में कभी भी अहंकार को सहारा न दें. उन्होंने सलाह दी कि इससे केवल नुकसान होता है.
डॉ. सत्यभूषण डॉस ने कहा, समाज कल्याण के लिए सतत शोध आवश्यक है. नए उद्यमी इस तरह के उत्पादन करें कि सभी को फायदा हो. इसी तरह पर्यावरण की भी रक्षा होगी. सतत विकास में ही देश का कल्याण निहित है. आज के समय में नए उद्यमियों को पारंपरिक व्यवसाय से अलग कुछ नया करने के बारे में सोचना चाहिए. आज, होटल और पर्यटन उद्योग बड़े पैमाने पर विकास देख रहे है.
डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा, फिलहाल हर कोई शांति चाहता है. इसलिए नए शोधार्थियों को ऐसा शोध करना चाहिए जिससे समाज को लाभ हो. यदि हम रिसर्च शब्द के अर्थ का विश्लेषण करे तो यह ज्ञात होगा कि रि का अर्थ है स्व और सर्च का अर्थ होता है खोजना. जिसका अर्थ स्वयं के संबंध में शोध करना है. ईश्वर कोई व्यक्ति नहीं बल्कि एक शक्ति है. उस ऊर्जा का सदुपयोग कर समाज कल्याण करना चाहिए.
राहुल विश्वनाथ कराड ने कहा,, सभी विषयों के छात्रों द्वारा बनए गए विभिन्न विचारों को प्रदर्शित किया गया है. विचारों का अनूठा आदान प्रदान होगा. सतत विकास, नवाचार, अनुसंधान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है. इस देश में अनेक समस्याएं उत्पन्न हो रहीं है. इनका समाधान शोध के माध्यम से किया जाना चाहिए. पिछले साल, छात्रों को शोध और नवाचार के लिए प्रोत्साहित करने के लिए प्रत्येक विभाग के शिक्षकों को एक एक लाख रुपये दिए गए थे. हमारे संगठन ने डोम बनाने के लिए दुनिया में सबसे अच्छा इनोवेशन किया है, जो मानवता और शांति का संदेश दे रहा है.
डॉ. प्रसाद खांडेकर ने कहा, भारत को हर साल कम पेटेंट मिलते हैं, दूसरी ओर अमेरिका और चीन में नए शोध और पेटेंट की संख्या बहुत अधिक है, इसलिए देश में नई उद्यमिता के लिए अपार संभावनाएं है. युवाओं को इसका लाभ उठाना चाहिए.
प्रो.डॉ. आर.एम.चिटणीस ने प्रस्तावना रखी. डॉ. तपन पाण्डे ने स्वागत पर भाषण दिया.
प्रो. डॉ. गौतम बापट ने सूत्रसंचालन किया. प्रो.डॉ. प्रसाद खांडेकर ने आभार माना.

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