विकसित टेक्नॉलॉजी के कारन इंजिनिअरिंग में बढे अवसर
विशेषज्ञों द्वारा करियर के लिए कानमंत्र; ‘जीएचआर करियर कनेक्ट’ को मिला छात्रों, पेरेंट्स द्वारा रिस्पॉन्स
कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, ऑटोमेशन, 5जी तकनीक जैसी नई तकनीकों के शामिल होने से इंजीनियरिंग के क्षेत्र में करियर के बहुत सारे अवसर हैं। ‘इंडस्ट्री 4.0’ की निर्भरता इंटरनेट पर होने के कारण औद्योगिक क्षेत्र में कई विकल्प और अवसर सामने आ रहे हैं। यदि आप आवश्यक कौशल हासिल कर लेते हैं, तो आप इस नए युग में खुद को अच्छी तरह से आकार देने में सक्षम होंगे,” ऐसा कानमंत्र विशेषज्ञ द्वारा छात्रों और अभिभावकों को दिया गया।
जीएच रायसोनी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट, वाघोली द्वारा आयोजित ‘जीएचआर करियर कनेक्ट 2022’ में सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी इनोवेशन सेंटर हेड प्रो. डॉ अरविंद शालिग्राम, टेक महिंद्रा के ऑटोमेशन हेड तुषार सांख्ये, मोटिवेशनल स्पीकर अपराजिता भूषण, करियर काउंसलर केदार टाकलकर, रायसोनी कॉलेज कैंपस के निदेशक डॉ. आर डी खराडकर ने मार्गदर्शन किया।
‘स्वप्न तुमचे, मार्गदर्शन आमचे’ की अवधारणा पर पुणे कैंप में जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल में आयोजित कार्यक्रम में बड़ी संख्या में बाराहवी उत्तीर्ण छात्र और उनके माता-पिता शामिल हुए। इस अवसर पर ग्लोबल एज्युकेशन के निदेशक आदित्य भंडारी, रायसोनी कॉलेज के उप निदेशक डॉ. वैभव हेंद्रे, उप निदेशक डॉ. नागनाथ हुले आदि उपस्थित थे।
डॉ अरविंद शालिग्राम ने कहा, “इंजीनियरिंग एक रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम है। पिछले कुछ वर्षों में डिजिटल क्रांति के कारण विभिन्न सेवाए आसानी से उपलब्ध हो रही है। हम मोबाइल, इंटरनेट की वजह से एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। चैटबॉट हमारे जीवन को और अधिक सहज बना रहे हैं।तकनीक आती भी है तो भी हमें खुली सोच, तकनीकी कौशल प्राप्त करके समाज और देश की भविष्य की समस्याओं के उपयोगी समाधान प्रदान करने के लिए काम करना चाहिए।”
अपराजिता भूषण ने कहा, “दूसरों के साथ तुलना करने के बजाय हमें अपनी प्रतिभा को पहचानना चाहिए और उसमें से करियर बनाना चाहिए। हम सभी में कमियां हैं, लेकिन हमें यह सोचना चाहिए कि हम उन्हें कैसे सुधार सकते हैं। हमें अपने जुनून, लक्ष्यों, भविष्य के अवसरों की पहचान करनी चाहिए और उनकी पूर्ति के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए। हमें एक सक्रिय, समर्पित रवैया विकसित करना चाहिए। एक अलग तरीके से सोच, भाषा और संचार कौशल हासिल करें। नेतृत्व, निर्णय लेने की क्षमता के साथ मूल्यों, चरित्र संरक्षित किया जाना चाहिए।”
तुषार सांख्य ने कहा, “तकनिकी के कारण इंजीनियरिंग लगातार विकसित हो रही है। अवसरों के नए रास्ते खुल रहे हैं। रोजगार के कई अवसरों के बावजूद, कौशल की कमी के कारण बेरोजगारी एक समस्या बनी है। इसलिए आधुनिक तकनीक, कौशल हासिल किया जाना चाहिए।” केदार टाकलकर ने इंजीनियरिंग प्रवेश प्रक्रिया को बहुत ही सरल तरीके से समझाया।
डॉ आर डी खराडकर ने भी इंजीनियरिंग में करियर, रायसोनी कॉलेज में उपलब्ध पाठ्यक्रमों के बारे में बताया। संचालन रीता करंदीकर ने किया। वंदना दुरेजा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करने वाले विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया।