इस वर्ष जलाएं मिट्टी के दिए ..अपनी पुरानी विरासत बचाएं: अनिल सिंह पूर्व सैनिक
सीतामढी बिहार : ब्याप्त भौतिकता की चकाचौंध में पश्चिमी सभ्यता का अनुसरण जोड़ों पर है, भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति पर अनवरत निर्मम प्रहार हो रहा है। हम सामाजिक एकता समरसता को भूलते जा रहे हैं हम एक दूसरे के पोषक नहीं शोषक बनते जा रहे हैं। हम अपने आस-पड़ोस के कामगार को रोजगार का अवसर दें उनका भी जीवन शैली बेहतर हो इसमें हमारा योगदान हो यह हम सबों की जिम्मेदारी हैं। एक दूसरे के परस्पर शैक्षणिक, आर्थिक, सामाजिक सहयोग से ही एक बेहतर समाज का निर्माण संभव है। आइए हम सब मिलकर संकल्प लें इस बार मिट्टी के दियों का इस्तेमाल करें। अपने समाज के कामगारों के आर्थिक उन्नति में सहभागी बने तथा भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की रक्षा करें। मिडिया से वात करते हुए।
इस प्रकार की जानकारी भूतपूर्व सैनिक अनिल सिंह ने कहा है कि हम सब पुरानी परंपरा को नष्ट करते जा रहे।इसको जिंदा रखना हमारा कर्तव्य है। इस इस दिपावली पर्व पर मिट्टी के दिए अवश्य घर पर जलाएं ।
मिट्टी के दियों में जो प्रकाश मिलता और उर्जा मिलती वह उर्जा और कही नही मिलती।
नही तो प्रदूषण होता वल्कि दुनिया को दिपावली के पावन पर्व पर एक नया इतिहास रचता है।
हमारे गरीव लोगों को रोजगार का अवसर व अधिकार मिलता है। आप सब परिवार के दिपावली मनाएं घर में मिट्टी के दिपक जलाएं।