सीतामढ़ी

फाइलेरिया बीमारी से बचाव,रोकथाम एवं उस पर प्रभावी नियंत्रण के मद्देनजर जिले में 4 एवं 05 नवम्बर तथा 7 एवं 8 नवम्बर को रात्रि रक्त पट्ट संग्रह(नाईट ब्लड सर्वे) अभियान चलेगा

फाइलेरिया बीमारी से बचाव,रोकथाम एवं उस पर प्रभावी नियंत्रण के मद्देनजर जिले में 4 एवं 05 नवम्बर तथा 7 एवं 8 नवम्बर को रात्रि रक्त पट्ट संग्रह(नाईट ब्लड सर्वे) अभियान चलेगा

सीतामढी बिहार: इस निमित आज स्थानीय परिचर्चा भवन में उप विकास आयुक्त की अध्यक्षता में जिला समन्वय समिति (फाइलेरिया नियंत्रण ) की बैठक आहूत की गई।

बैठक में उपस्थित स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों, प्रखंड विकास पदाधिकारियों ,सीडीपीओ लैब टेक्नीशियन ,बीएचएम/ बीसीएम को संबोधित करते हुए उप विकास आयुक्त विनय कुमार ने कहा कि आगामी 4 नवंबर से शुरू होने वाले नाईट ब्लड सर्वे अभियान के सफलतापूर्वक आयोजन के निमित सभी विभाग/स्टेकहोल्डर्स आपसी समन्वय के साथ कार्य करना सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने कहा कि सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम जो कि नवंबर के अंतिम सप्ताह में शुरू होने की संभावना है उसके पूर्व रात्रि रक्त पट्ट संग्रह अभियान चलाना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि नाइट ब्लड सर्वे अभियान का संबंध फाइलेरिया उन्मूलन से है। उक्त अभियान के माध्यम से रोगियों की पहचान एवं रोग ग्रस्त क्षेत्र को चिन्हित किया जा सकेगा और तत्पश्चात चिन्हित स्थानों पर विशेष अभियान चलाकर फाइलेरिया उन्मूलन की दिशा में प्रभावी कार्य किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि निर्धारित तिथि को सभी अधिकारी एवं कर्मी अपने अपने दायित्वों का निर्वहन गंभीरतापूर्वक करना सुनिश्चित करेंगे।

वही बैठक में उपस्थित जिला मलेरिया पदाधिकारी डॉ आर के यादव ने बताया कि मलेरिया रोग से ग्रसित मरीजों की खोज के लिए रात्रि के 8:00 से 12:00 तक रक्त के नमूने एकत्रित करने के उद्देश्य से नाइट ब्लड सर्वे अभियान जिला में चलाया जाएगा। जिसके तहत विभागीय स्तर पर चिन्हित किए गए गांवों में रात्रि के समय स्थानीय ग्रामीणों के रक्त का नमूना लिया जाएगा। उन्होंने शिविर के सफलतापूर्वक संचालन को लेकर कर्मियों/पदाधिकारियो को कर्तव्य एवं दायित्व का बोध कराया। बताया कि रात में खून की जांच अवश्य करवाएं तभी फाइलेरिया से मुक्ति मिलेगी। रात के समय रक्त की बूंद लेकर उसका परीक्षण ही एक मात्र ऐसा निश्चित उपाय है जिससे इस बात का पता चल सकता है कि किसी व्यक्ति में हाथी पांव रोग के कीटाणु हैं अथवा नहीं। जिस व्यक्ति में ये कीटाणु पाए जाते हैं, उनमें साधारणत: रोग के लक्षण व चिह्न दिखाई नहीं देते। ऐसे व्यक्ति इस रोग के अन्य लोगों में फैलाने का श्रोत बनते हैं। यदि इन व्यक्तियों का समय पर उपचार कर दिया जाता है तो इसे न केवल इस रोग की रोकथाम होगी बल्कि हाथी पांव रोग को फैलने से भी रोका जा सकता है। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया बीमारी फाइलेरिया संक्रमण मच्छरों के काटने से फैलती है। यह मच्छर क्यूलेक्स एवं मैनसोनाईडिस प्रजाति के होते हैं जिसमें मच्छर एक धागे के समान परजीवी को छोड़ता है ।यह परजीवी हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है जिसके कारण प्रभावित अंगों में दर्द,
लालपन एवं रोगी को बुखार हो जाता है, हाथ पैर अंडकोष व शरीर के अंगों में सूजन के लक्षण होते हैं। प्रारंभ में यह सूजन अस्थाई हो सकता है किंतु बाद में स्थाई और लाइलाज हो जाता है। उन्होंने बताया कि 4 नवंबर से शुरू होने वाले नाइट ब्लड सैंपल सर्वे अभियान कि सफलतापूर्वक आयोजन के मद्देनजर सभी संबंधित को निर्देश दिया जा चुका है। इस अभियान की मॉन्ट्रेनिंग जिला स्तर से भी लगातार की जाएगी।

बैठक में जिला जनसंपर्क अधिकारी कमल सिंह, डीपीओ आईसीडीएस एवं जिला टीकाकरण अधिकारी भी उपस्थित थे।

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