पूणे

पत्रकारिताने २०-२० तथा वाइरल न्यूज में ली करवट एमआईटी डब्ल्यूपीयू में वरिष्ठ पत्रकार सत्य प्रकाश नायक ने कहाः

पत्रकारिताने २०-२० तथा वाइरल न्यूज में ली करवट
एमआईटी डब्ल्यूपीयू में वरिष्ठ पत्रकार सत्य प्रकाश नायक ने कहाः
चौथे राष्ट्रीय मीडिया और पत्रकारिता सम्मेलन का समापन

पुणे: वर्तमान दौर में पत्रकारिता ने २०-२० तथा वाइरल न्यूज में करवट बदली है. इसे ढांचे को बदलते हुए पत्रकारोंने अपने करियर में शांति को अपनाना होगा. सत्ता को सच्चाई अवगत कराने की जिम्मेदारी पत्रकारों के रग रग में होने के साथ यह कर्तव्य है. ऐसे विचार वरिष्ठ पत्रकार सत्य प्रकाश नायक ने रखे.
एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मीडिया एंड कम्यूनिकेशन की ओर से आयोजित तीन दिवसीय चौथे राष्ट्रीय मीडिया एवं पत्रकारिता परिषद के समापन मौके पर वे बतौर मुख्य अतिथी के रूप में वे बोल रहे थे.
विशेष अतिथि के रूप में माखनलाल चतुर्वेदी यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ.के.जी सुरेश, डी.डी. न्यूज की एंकर रीमा पराशर और विशेष अतिथि प्रो.डॉ. प्रियंकर उपाध्याय उपस्थित थे.
एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष प्रो.डॉ.विश्वनाथ दा. कराड ऑनलाइन उपस्थित थे.
साथ ही दूरदर्शन के पूर्व संचालक मुकेश शर्मा, डब्ल्यूपीयू के कुलपति डॉ. आर.एम.चिटणीस, धीरज सिंह उपस्थित थे.
यहां पर मान्यवरों के हाथों ब्रोशर का विमोचन हुआ.
सत्य प्रकाश नायक ने कहा, पत्रकार अपने कर्तव्य को भूल चूके है. इसलिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पत्रकारिता को याद करना चाहिए. शांति के बदौलत सारी दुनिया में उन्होंने देश की अलग पहचान बनाई. आज के दौर में शांति शब्द वॉर के साथ नहीं बल्कि आम आदमी के रोजमर्रा के साथ जुड़ा हुआ है. वॉर यह शब्द भ्रष्टाचार, नौकरशाही और बूरे लोगों के साथ जुड़ा है. इसलिए सरकार को समाज की सही व्यवस्था बताते हुए शांति लाना है. पत्रकारों को घोटाले के बारे में उजागर करना होगा.
डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा, सोशल मीडिया ने सारी दुनिया की विचार क्षमता को बदल दिया है. समाज को दिशा देने का दायित्व मीडिया का है. वहीं शांति के लिए कार्य जरूरी है. बुरे विकारों के चलते हमारा जीवन खराब होते जा रहा है. आपका कर्तव्य है कि समाज में शांति बनाए. परिवार और समाज के प्रति हमारा जो दायित्व है उसे निभाना होगा.
रीमा पराशर ने कहा, असली रिपोर्टिंग को पहचानते हुए पत्रकारोंने ग्राउंड लेवल पर जाना जरूरी है. गुगल का दामन थामते हुए उन्होने खबरों की जड तक जाने बीना उसका प्रकाशन नहीं करे. नए पत्रकार ग्लॅमर के पीछे दौड़ने की बजाए ग्राउंड लेवल पर जाना और कड़ी मेहनत करना जरूरी है. वर्तमान दौर में सारी पत्रकारिता शांति के आसपास ही घुमनी चाहिए.
प्रो. के.जी. सुरेश ने कहा, वसुधैव कुटुम्बकम के सूत्र को ध्यान में रखते हुए पत्रकारिता शांति के आसपास ही घुमनी चाहिए. जिसके लिए खबरों की जड़ तक जाने के लिए ग्राउंड लेवल पर कार्य करना जरूरी है. समाज में सद्भावना के साथ सामाजिक समस्याओं को दूर करना पत्रकारिता का असली स्वरूप है. समाज में शांति लाते समय सकारात्मकता और हर समस्याओं का समाधान होना चाहिए. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हर पल यहीं कहते थे कि समाज के आखिरी व्यक्ति तक हर चीज पहुंचनी चाहिए तभी देश का विकास होगा.
प्रो. डॉ.प्रियंकर उपाध्येय ने कहा, फेक न्यूज पर रोक लगाने के साथ खबरों की असली जड तक जाना ही सच्ची पत्रकारिता है. तत्काल न्यू देने के चक्कर में मीडिया उसकी सत्यता जाने बिना ही उसे दिखाते है. वर्तमान में लोगों को शांति नहीं बल्कि शोर में अच्छा लगता है. समाज मेंं शांति और लोकतंत्र को मजबूत बनाना ही असली पत्रकारिता है. इसलिए सकारात्मक विचारों को परोसना जरूरी है. जोहान गालटो ने अपनी सम्पूर्ण पत्रकारिता शांति के लिए की.
प्रो.डॉ. आर.एम.चिटणीस ने सभी का स्वागत करते हुए तीन दिवसीय कार्यक्रम का ब्योरा दिया. कार्यक्रम की प्रस्तावना प्रो.डॉ. के.गिरसन ने रखी.

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