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गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ बनाने के लिए हर संभव प्रयास किये जायेंगे

गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ बनाने के लिए हर संभव प्रयास किये जायेंगे
गीता का अनुवाद जनभाषा में किया जाय

रीवा एमपी: विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने आज मानस भवन में आयोजित विश्वगीताप्रतिष्ठानम् कार्यक्रम में कहा कि गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ बनाने के लिए हर संभव प्रयास किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि विधानसभा में गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ बनाने के लिए संकल्प पारित कराकर केन्द्र सरकार को भेजा जायेगा। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि गीता ग्रंथ को हर घर में पहुंचाने के लिए आवश्यक है कि इसे संस्कृत भाषा की जगह जनभाषा में अनुवादित किया जाय। जिस प्रकार से रामचरित मानस जनभाषा में लिखे होने के कारण आज यह हर घर में प्रतिष्ठित है। साधारण जन भी इसकी सरल भाषा के कारण अखण्ड मानस पाठ और दैनिक मानस पाठ करते हैं जबकि गीता ग्रंथ संस्कृत भाषा में लिखे होने के कारण सामान्य जन को यह क्लिस्ट लगती है। संस्कृत भाषा को देवों की भाषा कहा गया है लेकिन आज संस्कृत भाषा जानने वाले बहुत कम हैं। इस कारण से सामान्य जन गीता ग्रंथ को कम ही पढ़ते हैं
अत: इसे जनभाषा में अनुवादित किया जाय।
उन्होंने कहा कि हम विदेशी मेहमानों के आने पर स्मृति चिन्ह के रूप में उन्हें ताज महल की प्रतिकृति देते हैं उसी प्रकार इसमें बदलाव कर हम अपने मेहमानों को गीता ग्रंथ भेंट करें। उन्होंने कहा कि साख्य योग एवं कर्मयोग में कर्म ज्ञान एवं भक्ति का रास्ता बताया गया है। लेकिन कर्म के स्थान पर हम भाग्य को अधिक प्राथमिकता देते हैं। गीता में कृष्ण जी ने कर्म को प्राथमिकता दी है। उन्होंने कहा कि संस्कृत को देवभाषा कहा गया है। लेकिन संस्कृत भाषा इस इस प्रचलन में नहीं है। इस कारण से गीता ग्रंथ को जन-जन में वह प्रतिष्ठा नहीं मिली जो उसे मिलना चाहिए जबकि रामचरित मानस में जनभाषा होने के कारण प्रतिष्ठा प्राप्त कर ली। उन्होंने कहा कि आधुनिक समय में बच्चों को हम विद्या के स्थान पर शिक्षा दे रहे हैं इस कारण से हमारे बच्चे संस्कारित नहीं हो पा रहे हैं। विद्या से हमे संस्कार एवं परंपरा का ज्ञान प्राप्त होता है जबकि शिक्षा से हम नौकरी प्राप्त करते हैं। उन्होंने कहा कि गीता ग्रंथ में कर्मयोग, भक्तियोग एवं ज्ञानयोग तीनों का ज्ञान बताया गया है। आवश्यक है कि गीता का स्वाध्याय अधिक से अधिक लोग करें।
विश्वगीताप्रतिष्ठानम् के डॉ. विष्णु नारायण तिवारी ने संस्था की जानकारी देते हुए बताया कि महाकाल की नगरी उज्जैन में कृष्ण जी ने संदीपनी ऋषी के आश्रम में ज्ञान प्राप्त किया। गीता ग्रंथ का उद्गम स्त्रोत उज्जैन है। संस्था का प्रयास है कि राष्ट्रीय पशु, राष्ट्रीय पक्षी, राष्ट्रीय गान की तरह हमारा राष्ट्रीय ग्रंथ गीता हो। उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले में गीता जयंती आयोजित की जाय। उन्होंने कहा कि रीवा जिले में गीता भवन का निर्माण किया जाय। गीता ग्रंथ को प्रतिष्ठापित करने के लिए गीता स्वाध्याय मंडल का गठन किया गया है।
कार्यक्रम में स्वामी रंगनाथचार्य, उपाध्यक्ष रामाधार द्विवेदी, महामंत्री विष्णु नारायण तिवारी, विष्णु प्रसाद शर्मा, जेएल त्रिपाठी, हरिनारायण शर्मा, श्रवण कुमार उपाध्याय, महेश प्रसाद पाण्डेय, मन्नू लाल गुप्ता, पुष्पेन्द्र गौतम सहित श्रद्धालु जन उपस्थित थे।

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