डॉ.अम्बेडकर के लोकशाही के विचार आत्मनिरीक्षण करने वाले
प्रो.डॉ. विश्वनाथ कराड के विचारः एमआईटी डब्ल्यूपीयू द्वारा भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर को शत शत नमन
पुणे: भारत में जाति अंत, समानता, सामाजिक न्याय और भाईचारा स्थापित करने के लिए डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर के योगदान का व्यापक रूप से सम्मान किया जाता है. लोकतंत्र पर उनके विचार आज सभी के लिए आत्मनिरीक्षण करनेवाले है. यह विचार माईर्स एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने व्यक्त किए.
माईर्स एमआईटी,पुणे और एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी की ओर से संविधान के निर्माता, भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर के ६६ वें महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर अभिवादन किया. इस अवसर पर विश्वविद्यालय के संस्थापक, निदेशक, शिक्षक, शिक्षकेत्तर, कर्मचारी एवं छात्र छात्राओंने डॉ. अम्बेडकर की प्रतिमा को पुष्पांजलि अर्पित कर अभिवादन किया.
इस मौके पर डब्ल्यूपीयू के कुलपति डॉ. आर.एम.चिटणीस, लेखक डॉ. संजय उपाध्ये, डॉ. गणेश काकंडीकर, चंद्रकांत शहासने और डॉ. मिलिंद पात्रे मौजूद थे.
प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा, डॉ. अम्बेडकर द्वारा किए गए कार्यों के कारण पूरी मानव जाति उन्हें विश्व शांति दूत और महापुरुष कहने लगी है. आज रामेश्वर रूई में उनके जीवन पर आधारित
तथागत भगवान गौतमबुद्ध विहार बनाया गया है. उससे गांव को हमेशा उनके विचारों की प्रेरणा मिलती है.
डॉ. संजय उपाध्ये ने कहा, संविधान दैनिक जीवन में आचरण का विज्ञान है. व्यक्ति अपना व्यवहार बदलता है लेकिन संविधान द्वारा बनाया गया कानून सभी के लिए एक समान है.
डॉ. आर.एम.चिटणीस ने कहा, डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर ने जाति की बाधाओं को पार किया और सभी मनुष्यों को एक संघ में पिरोने का काम किया. इसके बाद डॉ. गणेश काकंडिकर और चंद्रकांत शहासने ने अपने विचार रखे
कार्यक्रम का संयोजन एवं आभार डॉ. मिलिंद पात्रे ने माना.