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विद्यार्थी सत्य बोलें और धर्म आचरण करें – राज्यपाल राज्यपाल ने दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को प्रदान किए पदक और उपाधियाँ

विद्यार्थी सत्य बोलें और धर्म आचरण करें – राज्यपाल
राज्यपाल ने दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को प्रदान किए पदक और उपाधियाँ
नई शिक्षा नीति युवाओं को ज्ञानवान और कर्मवान बनाएगी – उच्च शिक्षा मंत्री
राज्यपाल ने विन्ध्य के गौरव वाइस एडमिरल त्रिपाठी को दी डी.एस.सी. की मानद उपाधि

विशाल समाचार टीम रीवा एमपी:-

रीवा एमपी: अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय का दसवां दीक्षांत समारोह पंडित शंभूनाथ सभागार में आयोजित किया गया। समारोह का शुभारंभ प्रदेश के राज्यपाल श्री मंगूभाई पटेल ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री पटेल ने विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के प्रथम स्थान पाने वाले विद्यार्थियों को पदक तथा उपाधियाँ प्रदान की। समारोह में राज्यपाल ने विन्ध्य के गौरव वाइस एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी को डी.एस.सी. की मानद उपाधि प्रदान की। समाजसेविका सुश्री अनुराधा शर्मा को भी राज्यपाल ने मानद डी लिट की उपाधि प्रदान की। समारोह में विश्वविद्यालय की स्मारिका दीक्षापर्व, पुस्तिका विन्ध्य भारती, नई शिक्षा नीति तथा आदिवासी रूपांकन कला पुस्तिका का विमोचन किया गया।

इस अवसर पर राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि आपका विश्वविद्यालय विन्ध्य की गौरवमयी धरा पर स्थित है। आज जिन विद्यार्थियों को उपाधि प्राप्त हो रही है उन्हें सफल और सुखद भविष्य की शुभकामनाएं हैं। हर विद्यार्थी सदैव सत्य बोले और धर्म आचरण करे तभी सबका जीवन मंगलमय होगा। हमें दूसरों की खुशी में खुश और दूसरों के दुख में दुखी होना चाहिए। माता-पिता जीवन भर जिस तरह बच्चों का ध्यान रखते हैं उसी तरह बच्चों को भी अपने माता-पिता का ध्यान रखना चाहिए। राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। देश को आजाद कराने में अनेक वीरों और शहीदों ने अपने जीवन का बलिदान किया। उनके जीवन और कार्यों की जानकारी नई पीढ़ी को अवश्य देनी चाहिए।

समारोह में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री ने लार्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति के स्थान पर नई शिक्षा नीति लागू की है। नई शिक्षा नीति विद्यार्थियों को ज्ञानवान के साथ कर्मवान बनाएगी। हम ऐसी शिक्षा की व्यवस्था कर रहे हैं जिसमें ज्ञान, रोजगार के अवसर तथा संस्कार मिलेंगे।
समारोह में विद्यार्थियों को आशिर्वचन देते हुए स्वामी परमात्मानंद सरस्वती ने कहा कि शिक्षा केवल जानकारी पर आधारित नहीं होनी चाहिए। शिक्षा हमें आजीविका का अवसर देने के साथ जीवन जीने की कला भी सिखाए। वास्तविक शिक्षा वही है जो अज्ञान के बंधन को खोलकर हमें नए क्षितिज में आगे बढ़ने का अवसर देती है। इसलिए प्राचीन गुरूकुल परंपरा की शिक्षा में ज्ञान के साथ-साथ आत्मज्ञान और सामाजिक मूल्यों पर बहुत अधिक ध्यान दिया जाता था। गुरूकुल ज्ञान के साथ जीवन जीने की कला भी सिखाते थे। आधुनिक संसाधनों और तकनीक ने मनुष्यों को एक-दूसरे को जोड़ा है लेकिन वास्तविकता यह है कि मानव, मानव से ही दूर हो गया है। हर विद्यार्थी को स्वयं के संबंध में सोचने के साथ समाज और देश के प्रति अपने कर्तव्य पर भी विचार करना चाहिए। हमारे देश में सत्ता और संपन्नता का नहीं बल्कि त्याग करने वालों का सम्मान करने की परंपरा है।
समारोह में विश्वविद्यालय के कुलपति श्री राजकुमार आचार्य ने अतिथियों का स्वागत किया तथा विश्वविद्यालय की उपलब्धियों की जानकारी दी। समारोह में पूर्व मंत्री एवं विधायक रीवा श्री राजेन्द्र शुक्ल, विधायक सेमरिया श्री केपी त्रिपाठी, कलेक्टर मनोज पुष्प, पुलिस अधीक्षक नवनीत भसीन, विश्वविद्यालय के प्राध्यापकगण, नगर निगम के अध्यक्ष श्री व्यंकटेश पाण्डेय, डॉ अजय सिंह तथा बड़ी संख्या में विद्यार्थी एवं उनके अभिभावक उपस्थित रहे। समारोह का संचालन कुलसचिव सुरेन्द्र सिंह परिहार तथा डॉ दिनेश कुशवाहा ने किया।

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