अहिंसा-रत्न जीवनगौरव पुरस्कार से डॉ. कल्याण गंगवाल सम्मानित
पालीताणा, गुजरात के शंखेश्वर पुरम में अंजनशलाका (पंचकल्याणक) महोत्सव में भारतीय जैन संघ द्वारा पुरस्कार प्रदान
पुणे : पालीताणा, गुजरात के सिद्ध क्षेत्र शंखेश्वर करुणा ट्रस्ट में हुए अंजनशलाका (पंचकल्याणक) महोत्सव में भारतीय जैन संघ द्वारा पुणे के शाकाहार कार्यकर्ते डॉ. कल्याण गंगवाल को ‘अहिंसा-रत्न जीवनगौरव पुरस्कार’ प्रदान किया गया.
शंखेश्वर पुरम निर्मित विज्ञान तीर्थ पर हुए इस महोत्सव में ३०० से अधिक आचार्य, साधु व साध्वी उपस्थित थे. तभी डॉ. कल्याण गंगवाल को सम्मानित किया गया. इस समय डॉ. चंद्रकला, डॉ. परितोष, डॉ. सीमा व डॉ. आनंद गंगवाल परिवार द्वारा ‘अहिंसा-शाकाहार’ पर तैयार किए गए १०१ वैज्ञानिक पोस्टर्स का प्रदर्शन ट्रस्ट को भेट स्वरूप में दिया गया.
संतों के समुदाय ने सांप्रदायिक विवादों और संत विवादों को समाप्त कर के विज्ञान और आध्यात्मिकता को मिलाकर अहिंसा-करुणा-शाकाहार को बढ़ावा देने की घोषणा की। पृथ्वी, पर्यावरण, पशु-पक्षी व मानवी स्वास्थ्य अच्छा रहने के लिए ‘जैन जीवन शैली’ को आत्मसात करने की जरुरत है, ऐसा प.पू. आचार्य लब्धिचंद्र सूरीश्वरजी महाराज ने कहा.
नई पीढ़ी पाप और पुण्य की भाषा नहीं समझती। उन्हें धर्म को वैज्ञानिक दृष्टि से समझना चाहिए। जैन धर्म पूर्णतः वैज्ञानिक है। हर जगह के मंदिर परिसर में ‘विज्ञान तीर्थ’ की स्थापना कर पूरे समाज को सदाचार, शाकाहार और व्यसन-मुक्ति का महत्व बताना चाहिए। डॉ. जैन समाज को करोड़ों रुपये के मंदिरों के निर्माण के बजाय स्कूल और अस्पताल बनाने पर ध्यान देना चाहिए, ऐसा कल्याण गंगवाल ने कहा।
डॉ. कल्याण गंगवाल 50 से अधिक वर्षों से चिकित्सा क्षेत्र में काम कर रहे हैं। वे शाकाहार, करुणा और अहिंसा के लिए काम करते हुए दुनिया भर में घूम रहे हैं। उन्हें अब तक 130 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। उनके शाकाहारी काम को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड और गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है।