माईर्स एमआईटी वर्ल्ड पीस युनिवर्सिटी, पुणे द्वारा आयोजन
ज्ञान विज्ञान, अध्यात्म और दर्शनशास्त्र पर ९वां विश्व सम्मेलन ९ फरवरी से
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर -धाम (ज्ञानदालन) में ११ फरवरी तक चलेगा सम्मेलन
पुणे महाराष्ट्र : २१ वीं सदीं में भारत ज्ञान का दालन एवं विश्व गुरू के रूप में उभरेगा. यह पूरे विश्व को सुख, संतोष और शांति का मार्ग दिखाएगा. ऐसी स्वामी विवेकानंद की भविष्यवाणी को पूरा करने के लिए एमआईटी वर्ल्ड पीस युनिवर्सिटी द्वारा ९ से ११ फरवरी को नवनिर्मित श्री काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर में विज्ञान, धर्म, अध्यात्म और दर्शन की ९वीं संसद का आयोजन किया गया है.
भारत के दूरदर्शी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी ने श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर धाम का पुनर्निमिंत किया, जो सभी भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बना हुआ है. इसी के प्रेरणा तहत पुणे की एमआईटी वर्ल्ड पीस युनिवर्सिटी द्वारा वैश्विक संसद का आयोजन किया जा रहा है.
विश्व शांति को बढावा देने और मानवता के प्रसार के लिए एमआईटी वर्ल्ड पीस युनिवर्सिटी द्वारा कई गतिवियाँ लगातार की जाती है. उनमें से एक काशी बनारस में नियोजित विश्व सम्मेलन है. हमें विश्वास है कि इस सम्मेलन के माध्यम से विद्वान शहर से उपरोक्त गतिविधियों की मान्यता पूरी दुनिया के सामने प्रस्तुत की जाएगी.
माईर्स एमआईटी वर्ल्ड पीस युनिवर्सिटी, पुणे द्वारा संत श्री ज्ञानेश्वर माऊली की ७००वीं संजीवन समाधि को लेकर १९९६ में संत, वैज्ञानिको और दार्शनिकों का पहला विश्व दार्शनिक सम्मेलन हुआ. इसके बाद १९९८ में स्विट्जरलैंड के जिनेवा में दूसरा विश्व दार्शनिक सम्मेलन हुआ. ऐसे आज तक ८ ऐतिहासिक विश्व ज्ञान विज्ञान, अध्यात्म और दार्शनिक सम्मेलनों का आयोजन किया गया. यहां हम इस बात पर प्रकाश डालना चाहेंगे कि भारत में ऐसा पहली बार हो रहा है कि इस तरह के सम्मेलन में संतों, वैज्ञानिकों और दार्शनिकों को एक मंच पर लाया जा रहा है.
११ सितंबर १८९३ को अमेरिका के शिकागो में पहले विश्व धर्म सम्मेलन में भारत के महाना सपूत स्वामी विवेकानंद ने कहा था, केवल विज्ञान और धर्म आध्यात्मिकता के सामंजस्य से ही विश्व में शांति आ सकती है. इसी सैध्दांतिक वचनों के आधार पर और दार्शनिक संत श्री ज्ञानेश्वर माऊली के संपूर्ण ब्रम्हांड, ज्ञान, चेतना, बुद्धिमान और अनंत अस्तित्व का ईश्वरीय रूप है. इसी के प्रति आस्था और निष्ठा के साथ माईर्स एमआईटी,पुणे भारत यह शैक्षणिक संस्थान, पिछले ४० वर्षों से निर्बाध रूप से कार्यरत है. दुनिया भर में शांति की संस्कृति को बढावा देने के उद्देश्य से कार्य कर रही है. भारतीय संस्कृति, पंरपरा और दर्शन का, विज्ञान और अध्यात्म का सामंजस्य, एकं सत विप्रः वदन्ति , वसुधैव कुुटुम्बकम इस वैज्ञानिक और वैदिक वचन तथागत गौतम बुध्द के प्रबुध्द पंचशील सिध्दांत, सांसरिक मानवता और दार्शनिक संत श्री ज्ञानेश्वर माऊली से विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. अल्बर्ट आइंस्टीन के इस ज्ञान विज्ञान आध्यातिमक यात्रा को दुनिया के सामने प्रस्तुत करने का प्रयास संस्था कर रही है.