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लक्ष्य प्राप्ति के लिए निरंतर, कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास की जरूरत : घेवारे

लक्ष्य प्राप्ति के लिए निरंतर, कड़ी मेहनत
और आत्मविश्वास की जरूरत : घेवारे
आशा फाउंडेशन द्वारा 35 जरूरतमंद छात्रों को स्कूली छात्रवृत्ति प्रदान
देवेन्द्र सिंह तोमर की रिपोर्ट:- 
पुणे: “अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दृढ़ता, कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास आवश्यक है। छात्रों को आवश्यकतानुसार मोबाइल फोन का उपयोग करके अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए। प्राप्त वित्तीय सहायता से अपनी शिक्षा को अच्छी तरह से पूरा करें। समाज से मिली मदद को ध्यान में रखते हुए इसे चुकाने की भावना रखनी चाहिए,” ऐसी राय राष्ट्रपति पदक विजेता पुलिस अधिकारी देविदास घेवारे ने व्यक्त की।
 
आशा प्रतिष्ठान ट्रस्ट की ओर से ‘आशा छात्रवृत्ति सम्मान समारोह’ आयोजित किया गया। ग्रामीण, दूरस्थ क्षेत्रों, पुणे के स्लम क्षेत्रों के 35 मेधावी और आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों को 3000 रुपये की छात्रवृत्ति प्रदान की गई। कला और खेल के क्षेत्र में तालुका, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर सफलता हासिल करने वाले छात्रों को प्रमाण पत्र और सम्मानपत्र देकर सम्मानित किया गया।
 
पत्रकार भवन में आयोजित इस समारोह के दौरान त्रिशरण एन्लायटनमेंट फाउंडेशन की संस्थापक प्रज्ञा वाघमारे, ‘घे भरारी’ समूह की नीलम उमरानी एदलाबादकर, ‘एसएनडीटी’ कॉलेज के प्रो. डॉ. विजय चव्हाण, आशा प्रतिष्ठान की अध्यक्ष अंजली लोनकर, सचिव चंदन डाबी, कोषाध्यक्ष पुरुषोत्तम डांगी, प्रतीक डांगी, अनुजा निकाते, चंद्रकांत साने सहित ग्रामीण विद्यालयों के प्राध्यापक व शिक्षक उपस्थित थे.
प्रज्ञा वाघमारे ने कहा, “सावित्रीबाई फुले ने लड़कियों की शिक्षा के लिए अपना जीवन लगा दिया। उनके बताए रास्ते पर ही आशा प्रतिष्ठान काम कर रहा है। लड़कियों के लिए कई सरकारी योजनाएं और छात्रवृत्तियां हैं। इसके बारे में हमें पता होना चाहिए। वंचित, दूरस्थ वर्गों के सामाजिक और आर्थिक स्तर को ऊपर उठाने में सभी को योगदान देना चाहिए।”
नीलम उमरानी एदलाबादकर ने कहा, “कम उम्र से ही शौक पैदा करें। अच्छी तरह से पढ़ाई करें। बच्चों को उद्यमिता सिखाई जानी चाहिए। जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न हों, व्यक्ति को दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास के साथ उनका सामना करना चाहिए।”
प्रो डॉ. विजय चव्हाण ने छात्रों का मार्गदर्शन किया। अंजलि लोनकर ने संस्था के कार्यों की समीक्षा की। प्रो. गणेश ठाकर व पुरुषोत्तम दांगी ने संचालन किया। चंदन डाबी ने परिचय दिया। प्रतीक डांगी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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