गर्भवती महिलाओं को दी गई मधुमेह से बचाव की जानकारी
रीवा एमपी: कुशाभाऊ ठाकरे जिला चिकित्सालय रीवा, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तथा सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में शिविर लगाकर गर्भवती महिलाओं को मधुमेह से बचाव की जानकारी दी गई। शिविर का शुभारंभ करते हुए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बीएल मिश्रा ने बताया कि गर्भवती महिलाओं की देखभाल के संबंध में प्रति वर्ष 10 मार्च को जीडीएम दिवस मनाया जाता है। गर्भावस्था में मधुमेह अनुमानित 10 प्रतिशत महिलाओं में पाया जाता है। जिन्हें 30 वर्ष से अधिक आयु में मधुमेह बीमारी की आशंका होती है। भारत में अनुमानित 10 लाख गर्भवती महिलाएं मधुमेह से पीड़ित होती हैं। गर्भवती महिलाओं की देखभाल कार्यक्रम में सभी को ग्लूकोज खिलाकर उनके शुगर जॉच की जाती है। महिलाओं में मधुमेह की समस्या होने पर उन्हें खानपान में परहेज, चिकित्सक के परामर्श अनुसार व्यायाम तथा आवश्यकतानुसार उपचार कराना चाहिए। अनाज का सेवन कम करना व खाने में हरी सब्जी, दाल, दही, सलाद व चर्बी रहित दूध का सेवन करना चाहिये। महिलाओं में ब्लड शुगर खाली पेट 100 मिलीग्राम या कम तथा खाने के दोघण्टे बाद 120 मिलीग्राम या कम होना चाहिये। मधुमेह वाली गर्भवती महिलाओं में जो लक्षण होते हैं उनमें थकान होना, ज्यादा प्यास लगना, मुँह सूखना, आँख में धुंधलापन तथा गुप्तांग में खुजली होना। ज्यादा वजन की महिलाओं व जिन्हें पहले गर्भावस्था में बीमारी रही हो या वंशानुगत बीमारी हो उन्हे खतरा रहता है। ऐसी गर्भवती महिलाओं को उच्च जोखिम समूह में रखा जाता है। मानसिक तनाव से बचना महत्वपूर्ण उपाय है। आवश्यकता पड़ने पर गर्भावस्था के दौरान समय-समय पर इंसुलिन का इंजेक्शन लगाया जाता है। यदि इन महिलाओं की उचित देखभाल नहीं की गई तो प्रसव पूर्व समस्यायें, ज्यादा वजन के बच्चे होना व महिलाओं के जीवन को भी खतरा रहता है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने सभी स्त्री रोग विशेषज्ञों व चिकित्सकों से अपील की है कि सभी गर्भवती महिलाओं में डायबिटीज की खोज के लिए ओरल ग्लूकोज टालरेंस टेस्ट कराना सुनिश्चित करें। जिससे मातृ व शिशु मृत्युदर कम किया जा सके। जिला चिकित्सालय रीवा में डॉमंजुल द्विवेदी, डॉविकास सिंह, समस्त नर्सिंग स्टाफ उपस्थित रहा।