प्रदेश की विद्युत् व्यवस्था को लेकर AAP द्वारा की गई फ्लाप रैली पर विद्युत संगठनों के पदाधिकारियों द्वारा की गई टिप्पणी-
उत्तर प्रदेश में बिजली की स्थिति सुदृढ़ और सशक्त।
बिजली को लेकर आम आदमी पार्टी द्वारा किया गया लालटेन आंदोलन पूरी तरह से फ्लॉप।
AAP के पूरे दस दिन के मीडिया कैम्पेन के बावजूद आंदोलन की टाँय-टाँय फिस।
लखनऊ के परिवर्तन चौराहे पर प्रस्तावित कार्यक्रम में मात्र गिनती के १५ आदमी आए वो भी AAP के मंजे हुए कार्यकर्ता थे।
वो सिर्फ़ फ़ोटो खिंचवाने के लिए सड़क पर लेटकर नाटक किए।
यूपी की जनता पूरी तरह से बिजली व्यवस्था से संतुष्ट दिखती है। और हो भी क्यों ना।
इस वर्ष यूपी के इतिहास में सबसे ज़्यादा बिजली आपूर्ति हुई।
साथ ही यह भी सर्व विदित है कि यूपी में हो रही बिजली आपूर्ति दिल्ली की पाँच गुनी और पंजाब की अढ़ाई गुनी है।
दिल्ली और पंजाब का मिलकर देखें तो भी यूपी की सप्लाई डेढ़गुनी है।
इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश के पॉवर प्लांट जैसे कि रेहंद, दादरी, सिंगरौली, टांडा, मेज़ा तथा उँचाहार में उत्पादित बिजली में से 1354 MW दिल्ली को और 725 MW पंजाब को जाती है।
यूपी के बल पर AAP की लालटेन जलती है। और बिना पॉवर प्लांट चलाये ये दिल्ली को धुँआ ग्रस्त करते हैं।
दिल्ली एक शहर है और देश की राजधानी है। जहाँ ज़्यादातर व्यवस्था केंद्र सरकार कर देती है।
उत्तर प्रदेश एक लाख से ऊपर गाँवों वाला प्रदेश है। इसके अतिरिक्त कई लाख मजरे हैं। दिल्ली से छः गुना ज़्यादा विद्युत उपभोक्ता यूपी में हैं।
उत्तर प्रदेश में दिल्ली की 05 गुना और दिल्ली एवम् पंजाब को मिलाकर डेढ़ गुना से अधिक विद्युत् आपूर्ति की गई।
चार सालों से यूपी में बिजली के दाम में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई।
ऐसे में दिल्ली में मुफ़्त बिजली के भाषण देकर दिन प्रतिदिन महँगी करने वाले AAP पार्टी को यूपी की जनता पहचानती है।
इसलिए AAP के इस फ्लॉप हुए आंदोलन को जनता ने नाम दिया था
#केजरीवाल_की_काँव_काँव
सच में इससे ज़्यादा कुछ नहीं था इसमें।
विद्युत् अभियंता संघ के अध्यक्ष श्री राजीव सिंह, विद्युत मजदूर पंचायत संघ के उपाध्यक्ष श्री पी.एन. तिवारी एवम् अधिकारी एसोसिएशन व विद्युत उत्पादन निगम संघ के महामंत्री श्री मनीष मिश्रा द्वारा प्रदेश की विद्युत आपूर्ति एवम् व्यवस्था के सम्बन्ध में जानकारी दी गई।