जयंतराव सहस्त्रबुद्धे का जीवन,संगठनात्मक कौशल आदर्शवत
विभिन्न संगठनों द्वारा श्रद्धांजलि सभा में वैज्ञानिक, सहयोगियों ने यादों को किया ताजा
पुणे : “जयंतराव सहस्रबुद्धे एक आविष्कारक, तर्कशास्त्री, दार्शनिक और हर चीज के मूल तक जाने वाले व्यक्ति थे. वे एक आदर्श प्रचारक थे. अनुशासन, संगठनात्मक कौशल उनके जीवन का महत्वपूर्ण अंग रहा है, और वह हम सब के लिए आदर्शवत है. उनका यह कार्य आगे ले जाना यही उनके लिए श्रद्धांजलि होगी,” ऐसी भावनाएँ व्यक्त करते हुए वैज्ञानिक, सहयोगियों ने अपनी यादो को ताजा किया.
विज्ञानभारती के संगठन सचिव और वरिष्ठ संघ प्रचारक जयंतराव सहस्रबुद्धे का हाल ही में देहांत हुआ. उन्हें श्रद्धांजलि अर्पण करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विज्ञानभारती और डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी द्वारा सभा का आयोजन किया था. सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रघुनाथ माशेलकर, डॉ. विजय भटकर, सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुरेश गोसावी ने शोक संदेश के जरिए श्रद्धांजलि दीl
इस अवसर पर विज्ञानभारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शेखर मांडे, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य अनिरुद्ध देशपांडे, डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी के अध्यक्ष शरद कुंटे, विज्ञानभारती के प्रो. आर. व्ही. कुलकर्णी, सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. नितीन करमाळकर, एनसीएल के निदेशक आशीष लेले, संस्कृत भारती के अखिल भारतीय अधिकारी शिरीष राव भेडसगावकर, जयंतराव के छोटे भाई विनायक सहस्रबुद्धे, विज्ञान भारती कार्यकर्त्या शर्वरी कुलकर्णी आदि उपस्थित थे।
डॉ. शेखर मांडे कहा कि, जयंतराव देशभर में जहां भी काम के लिए जाते थे, यात्रा स्थल के परिवारों को अपने अच्छे व्यवहार से अपनासा लेते थे। उन्होंने लगातार लोगों को अपने विज्ञान को जनता के सामने प्रस्तुत करके उसके प्रति सम्मान पैदा करने के लिए काम करने के लिए प्रेरित किया।
डॉ. आशीष लेले ने कहा, ” मेरी एनसीएल के निदेशक के रूप में नियुक्ति के बाद, ‘कोविड’ अवधि के दौरान भी मुझसे मिलने आए। पहली बैठक के आधे घंटे में ही उन्होंने मुझे बहुत प्रभावित किया। उनके पास शानदार बुद्धि थी। मंत्रमुग्ध कर देने वाली वाक्पटु, विद्वान, दार्शनिक, सिद्धांतवादी आदमी था।
शरद कुंटे ने कहा, “जयंतराव हर घटना में एक साथ थे। उन्होंने विज्ञान को भारत से जोड़कर काम को आगे बढ़ाया। उन्होंने स्वामी विवेकानंद का विशेष अध्ययन किया था। उन्होंने अपना काम आस्था और भक्ति के साथ किया। परिशुद्धता, निरंतरता, अध्ययन उनकी पहचान थी।”
अनिरुद्ध देशपांडे, विनायक सहस्त्रबुद्धे, प्रो. आर. व्ही. कुलकर्णी, शिरीष भेडसगावकर, लीना बावडेकर, डॉ. नितीन करमळकर ने जयंतराव के साथ अपने अभियान जीवन की यादें ताजा कीं। डॉ. मानसी माळगावकर ने संचालन किया।