साधना में शुद्धता, एकाग्रता और निरपेक्ष भाव को बनाए रखा
छाया गांगुली की भावना; ७१वें जन्मदिन पर शेखर सेन के हाथो सम्मानित
पुणे : “बचपन से ही मुझे संगीत में रुचि थी. धीरे धीरे संगीत की ओर मैं बढ़ती गई. आकाशवाणी में काम करते समय मुझे कई प्रतिष्ठित कलाकारों का सहवास एवं मार्गदर्शन मिला. मुझे पहली बार विविध भारती के आरोही कार्यक्रम और फिल्म ‘गमन’ में गाने का मौका मिला। संगीत की साधना करते हुए मैंने शुद्धता, एकाग्रता और निरपेक्ष भाव को बनाए रखा,” ऐसी भावना वरिष्ठ गायिका छाया गांगुली ने व्यक्त कीl
छाया गांगुली को उनके ७१वें जन्मदिन पर संगीत नाटक अकादमी के पूर्व अध्यक्ष शेखर सेन के हाथो सम्मानित किया गया। इस मौके नाद विदुषी गुरु अन्नपूर्णा देवी के जीवन पर आधारित पुस्तक सुरोपनिषद के बांग्ला संस्करण का पर गांगुली और सेन के हाथो विमोचन किया। दीपलक्ष्मी नागरी सहकारी पतसंस्था और लोकमंगल ग्रुप शिक्षण संस्था द्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस समय वरिष्ठ बांसुरी वादक नित्यानंद हळदीपूर, साहित्यकार डॉ. सुनील शास्त्री, फिल्म संगीत विशेषज्ञ स्वप्नील पोरे, आयोजक शिरीष चिटनिस, प्रतीक प्रकाशन के प्रवीण जोशी आदि उपस्थित थे। उचित मीडिया इस आयोजन का मीडिया प्रायोजक था।
छाया गांगुली ने कहा, “आकाशवाणी और दूरदर्शन में लगभग 36 वर्षों तक सेवा की। इस दौरान जयदेव, मधुरानी, प्रभा अत्रे, शोभा गुर्टू, आशा, पंचम दा सहित कई प्रतिष्ठित कलाकार आकाशवाणी कार्यक्रमों में भाग लेने में सफल रहे। जयदेव ने गायन का अवसर दिया। मधुरानी संगीत की समझ को समृद्ध किया। संगीत सरिता कार्यक्रम के माध्यम से कई प्रस्तुतियां करने का मौका मिला। मैंने कला का सम्मान किया। कला ने मुझे सम्मानित किया।”
शेखर सेन ने कहा, “महाराष्ट्र और बंगाल देशभक्ति की प्रेरणा देने वाले स्थान हैं। हमारे पास संगीत के क्षेत्र में अन्नपूर्णा देवी, एम.एस सुब्बुलक्ष्मी, लता मंगेशकर जैसे आदर्श हैं। भारतीय संस्कृति हर व्यक्ति में भगवान को पहचानती है। अन्नपूर्णा देवी का योगदान अतुलनीय है और मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे बचपन में उनका सानिध्य और मार्गदर्शन मिला। गांगुली के योगदान ने भारतीय संगीत जगत को एक अलग आयाम दिया है।”
नित्यानंद हळदीपूर ने कहा, “अन्नपूर्णा देवी ने समर्पण के साथ कला की सेवा की। उनके समृद्ध संगीत का अनुभव करें। संगीत एक साधना है। गांगुली ने कई बेहतरीन गाने गाए। आज भी उनके कई गाने प्रशंसकों की जुबान पर हैं।”
डॉ. सुनील शास्त्री ने कहा, “प्रतिभाशाली अन्नपूर्णा देवी के जीवन को प्रस्तुत करना एक अनुभव था। मूल रूप से गुजराती में यह जीवन कथा अब पांच भाषाओं में मराठी, हिंदी, अंग्रेजी और बंगाली में उपलब्ध है।”
स्वप्निल पोरे ने कहा, “यह सम्मान समारोह गांगुली के काम को उचित मान्यता देने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था। उन्होंने प्रसार भारती और कई अन्य अद्वितीय गीतों के माध्यम से अपने संगीत करियर को चमकाया।”