ऑखों की सुरक्षा आवश्यक…
रीवा से धर्मेन्द्र गुप्ता की रिपोर्ट
रीवा एमपी: डॉ० बी०एल० मिश्रा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी रीवा ने बताया कि मौसम के परिवर्तन के कारण ऑखो का रोग बहुतायत में बढ़ रहा है। जिला चिकित्सालय रीवा में प्रतिदिन 20 से 25 मरीज ऑख आने के कारण उपचार के लिए पहुच रहे है, जिसमें बच्चों की संख्या ज्यादा है। ऑखों के क्लोब पर एक झिल्ली चढ़ी होती है। इस झिल्ली को कंजक्टाइवा कहा जाता है। ये पलको के अंदरूनी और पुतली के सफेद भाग को कवर करती है। झिल्ली में इन्फेक्शन या एलर्जी होने पर इसमें सूजन आती है। जिसे कंजक्टिवाइटिस या आई फलू नाम से जाना जाता है। इसके लक्षण ऑखे लाल होना, चिपचिपा लिक्विड आना, ऑसू व पानी आना, खुजली और दर्द होना, ऑख में किरकिरा महसूस करना, सूजन आना, पलको पर पपड़ी जमा होना इत्यादि लक्षण होते है। डॉ0 मिश्रा ने बताया कि ऐसे लक्षण पाये जाने पर निम्न सावधानिया करना आवश्यक होता है। मरीजों को कभी नीम हकीम को नही दिखाना चाहिये। जिला चिकित्सालय रीवा में पदस्थ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ0 नेहा तिवारी ने बताया की बरसात के मौसम में ऑख आने पर बचने हेतु किसी भी दूसरे ब्यक्ति को अपना तौलिया/रूमाल इस्तेमाल नही करने दे। ऑखो की सफाई रखेे साफ स्वच्छ पानी से ऑखो को धोये। आई ड्राप इस्तेमान करने से पहले हाथो को अच्छी तरह साबुन से सॉफ करना चाहिये। अपने आहार में विटामिन ए, विटामिन बी 12, कुनकुना दूध, हरी सब्जी, फल लें तरल खाना खायें। तालाब में स्नान न करें। ऑख आने पर काला चस्मा पहने और शीघ्र अपने नजदीक के स्वास्थ्य केन्द्र में दिखाये।