धर्मेन्द्र गुप्ता प्रतिनिधि मऊगंज
बिजली कटौती और बेतहाशा बिल से है त्राहिमाम लेकिन परिणाम का रता पता नहीं
मऊगंज; अगर बिजली कटौती से आम जनता में कोहराम है तो बिजली के बेतहाशा बिल ने तो मानो जनता पर शामत बन कर आया है।कतिपय गरीब तबके को दो चार बल्ब जलाने और एक पंखे के दो कमरों के लिए 5000 से 15000 तक बिजली का बिल भेज कर भले ही अपने सभी उस भ्रष्ट कार्य शैली में पर्दा डालने में प्रयासरत हो जिसके तहत बह अपने उन चहेतों को उपकृत करना चाहता है जो ना केवल पूंजीपति है वरन सदैव बिजली विभाग को चूना लगाते रहते हैं।जिसकी क्षतिपूर्ति पूर्ति में विभाग द्वारा अनावश्यक वसूली बड़े शिद्दत से की जा रही है दुखद है कि झूठी बाहबाही लेने के लिए सत्ता द्वारा कैम्प का आयोजन कराया जाता है अपने चरम तक विज्ञापन और प्रचार किया जाता है लेकिन परिणाम आम गरीब जनता के लिए ढाक के तीन पात।लेकिन बेशर्मी की इंतहा कि जनता के जले में नमक मिर्च डालने वालों की होड़ मची हुई है।सत्तापक्ष के पास तो एक बेहद रोमांचक दौर में चल रहा है उनसे किसी भी समस्या के बारे में बात होगी तो प्रत्येक समस्या पर एक हीं जुमला उपयोग करेंगे कि मऊगंज को जिला हमने बनाया भले ही जानता के कान इस जुमले से पक गए हों लेकिन बोलने वाले बेशर्मो की तरह जनता के हर समस्या पर इस जुमले में अडिग रह्ते हैं।
*हेल्प लाइन नंबर या पीड़ितों का माखौल* विभाग द्वारा एक हेल्प लाईन नंबर जारी है 1912 क्या मजाल किसी के समस्या का समाधान कर दे, अच्छी अच्छी रोचक बातों से मन बहलाने का एक अच्छा जरिया जरूर है वह भी उन लोगों के लिए जिनके पास अच्छे फुर्सत का समय हो क्योकि 1912 वालोँ पास भी तकनीकी दिक्कतें बहुत रहती हैं और समस्या का समाधान किसी का नहीं होता, इतना जरूर होता है कि विभाग के असमर्थ,असहाय, लाचार कर्मचारीयों के खाना पूर्ति में वह शिकायत नंबर बहुत काम में आता है।
*नेताओं के कुटिल राजनीति के शिकार हैं बिज़ली उपभोक्ता* अगर वास्तविकता देखी जाय तो सभी एक थैली के चट्टे-बट्टे हैं सत्ता पक्ष के लोग बड़ी बात कर सिर्फ बरगलाने का काम कर रहे हैं वो चाहे तो समस्या का समाधान बहुत आसान है लेकिन सत्ता हो या विपक्ष शायद इनका मानना है कि जनता जितना परेशान होगी उतना ही बोट देगी फर्क है कि सत्ता सोचती है कि इनको परेशानी में डाल कर परेशानी से निकालने का झूठा वादा करके बोट ले लेंगे और विपक्ष सोचता है कि जनता खूब परेशान होगी तो सत्ता पक्ष से तंग आकर बैठे बैठाए बोट मिल जाऐंगे, इन दो पाटो के बीच बीच गरीब जनता अच्छा खासा गेहूँ की तरह पिस रही है।